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________________ जानी नाम का एक लड़का महल के भीतरी दरवाजे पर पहरेदारी के लिए तैनात किया गया। रात में राजा शयनकक्ष में सोने की कोशिश कर रहा था, पर नींद उससे कोसों दूर थी। ऊबकर उसने पहरेदार को बुलाने के लिए घंटी बजाई। लगातार कई घंटियाँ बजाने के बाद भी पहरेदार जानी नहीं आया। अंत में राजा अपने बिस्तर से उठकर दरवाजे के करीब आया। देखा तो जानी मेज पर सिर टिकाए गहरी नींद में सो रहा था । बगल में एक मोमबत्ती जल रही थी और सामने एक अधूरा पत्र लिखा पड़ा हुआ था। राजा ने वह पत्र पढ़ा, जो इस तरह शुरू किया गया था-'मेरी प्यारी माँ, आज यह तीसरी रात है जब मुझे पहरेदारी का मौका दिया गया है। मैं यहाँ कब तक रहूँगा, कह नहीं सकता; किंतु कुछ हफ्तों में मैंने करीब दस रुपए कमाए हैं, जो मैं तुम्हें भेज रहा हूँ । शायद वह तुम्हारी कुछ जरूरतों को पूरा कर सकें।' माँ के प्रति लड़के के इस गहरे प्यार ने राजा को द्रवित कर दिया । वे फौरन अपने शयनकक्ष में लौटे और अशर्फियाँ ले जाकर उस पहरेदार की जेब में डाल दीं। लड़का जब जागा तो अपनी जेब में अशर्फियाँ पाकर फौरन समझ गया कि यह काम किसने किया होगा। सुबह राजा जब अपने शयनकक्ष से निकले तो वह दौड़कर उनके समक्ष नतमस्तक हो गया और अपनी गलती के लिए क्षमा माँग ली। साथ ही उसने अशर्फियाँ भी लौटा दीं। राजा ने लड़के के मातृप्रेम की ही नहीं बल्कि ईमानदारी की भी प्रशंसा की और उसे दुगुनी अशर्फियाँ इनाम में दीं। पहरेदार लड़का 00 000 JC Jain Education International JKL 1470 214 Older RT 4567890 wertyuiops FGXJXLE ngoliM: 4760 ,000|jesham / EUUBayabo For Private & Personal Use Only ईमानदारी और लगन सुनहरे भविष्य के साथी हैं । 45 www.jainelibrary.org
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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