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दया सुख-संपन्नता की कजी है |
वसंत ऋतु आई। चिड़ियाँ अपने स्वभाव के अनुसार चहचहाने लगीं। किसान ने यह देख अपने बच्चों को बुलाया और कहा, "कभी इन चिड़ियों को नुकसान न पहुँचाना। जो लोग इनका घोंसला उठाकर फेंक देते हैं उनके घर से सुख
और संपन्नता खत्म हो जाती है। हमारे पड़ोसी ने यही किया था। तब से उनके ऊपर ऐसी आफत आई कि उनका सारा व्यापार चौपट हो। गया । बेचारे कहीं के नहीं रहे।" किसान के छोटे बेटे राज ने । यह सुन कहा, "पिताजी, आप हमें उनकी पूरी कहानी सुनाइए न !'' किसान ने घटना बयान की, "हमारे पड़ोसी के दादा-परदादा चिड़ियों को बेहद प्यार करते थे। उन्होंने कभी चिड़ियों को नुकसान नहीं पहुँचाया, बल्कि वे सुबह चिड़ियों की मीठी चहचहाहट सुन जाग जाते थे और वक्त से अपने काम के लिए निकल पड़ते थे। किंतु हमारे पड़ोसी अपने । बाप-दादा की परंपरा का निर्वाह न कर 'सके। वे रात भर होटल में काम करते । थे, सुबह घर लौटकर सोते थे। ऐसे में। सुबह चिड़ियों की मीठी चहचहाहट उन्हें तंग करती थी। उन्होंने उनका घोंसला उठाकर फेंक दिया, अंडे फोड़ डाले। तभी से वे भीख माँगते हैं।"
घोसला
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