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________________ जनता की उत्तर प्रदेश के गवर्नर सर मातकम हेली ने जब उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचंद को संदेश भिजवाया कि वे उन्हें 'राय साहब' का खिताब देना चाहते । का हैं तो प्रेमचंद्र चिंतित हो उठे। "सिर्फ खिताब ही देंगे कि और कुछ भी?" पत्नी ने पूछा। "इशारा कुछ और के लिए भी है। तो फिर इसमें चिंता की क्या बात है? ले लीजिए ! इतना सोच-विचार क्यों कर रहे हैं?" "इसलिए कि अभी तक मैंने जनता के लिए लिखा है। 'राय साहब' बनने के बाद मुझे सरकार के लिए लिखना पड़ेगा।" "ओह, ऐसा ! तब गवर्नर को क्या जवाब दीजिएगा?" पत्नी ने फिर पूछा। प्रेमचंद बोले, "लिख दूँगा, जनता की राय साहबी ले सकता हूँ, सरकार की नहीं।" झूठे आदर-सम्मान का कोई अर्थ नहीं होता। in Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibran
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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