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एक दिन एक लड़का खेलता-कूदता गाँव से दूर निकल गया । तभी एक भेड़िए की दृष्टि उस
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पर पड़ी। भेड़िए ने उसे घेर लिया। लड़के ने जब देखा कि अब बचने का कोई उपाय नहीं है तो
मात
और
शह
उसने भेड़िए से एक प्रार्थना की, "सुनो भैया ! मौत से मैं डरता नहीं, पर इतना जरूर चाहूँगा
कि मेरी मौत सुख से हो। अगर तुम मुझे बाँसुरी बजाने दोगे तो मैं उसकी धुन पर नाचूँगा,
गाऊँगा । फिर भले ही तुम मुझे खा लेना । मुझे कोई दुःख नहीं होगा।'' भेड़िए ने कहा, ''ठीक
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है।'' लड़का बाँसुरी बजाने लगा। उस बाँसुरी की आवाज सुनकर लड़के का कुत्ता कहीं से
दौड़ा आया और भेड़िए को देखकर उस पर लपका। भेड़िया फौरन नौ दो ग्यारह हो गया।
|| सुस्थता च पराऽऽनन्दः ।।।
प्राणान्त आपत्ति में भी स्वस्थता से उपाय की शोध करनी चाहिये
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