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________________ बोझ का सम्मान प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी अपने सेवकों के साथ सड़क पर जा रहे थे कि उनकी बगल से भारी बोरा उठाए एक मजदूर गुजरा । बोरे का धक्का लगने से जमशेदजी गिर पड़े और उनकी पगड़ी उछलकर नाले में जा पड़ी। एक सेवक ने फुरती से उन्हें उठाया। वह मजदूर सहम गया और हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा। सेवकों ने सोचा, अब तो इस मजदूर की खैर नहीं। पर वे चकित रह गए, जब जमशेदजी ने उसे बिना डाँटे-डपटे क्षमा कर दिया और बोले, "इस बेचारे का इसमें क्या कसूर ! यह तो बोझ से दबा हुआ था। यह भला कैसे देख सकता था ! कसूर तो मेरा है, मुझे देखकर चलना चाहिए था।" यह कहकर उन्होंने पाँच का नोट उस मजदूर को दिया और अपने सेवक से बोझ उठवा देने के लिए कहा। बुद्धिमान पुरुष अपने किए का दोष दूसरों के सिर नहीं मढ़ते। al Education International FOLPeeDSTI w jainelibrary ore
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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