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शिक्षा
का
प्रारम्भ
एक दिन एक महिला एक वरिष्ठ ज्ञानी । व्यक्ति के पास गई और पूछा, ''बाबा, कृपा करके मुझे यह बताइए कि मुझे अपने नन्हें-मुन्ने बेटे की शिक्षा कब प्रारम्भ करनी चाहिए?" ज्ञानी ने कहा, "तुम्हारा बेटा कितना बड़ा हैं?'' महिला ने बड़े गर्व से जताया - "तीन वर्ष का।'' *४* "ओह ! तीन साल का ! तुमने बड़ी देर कर दी है उसकी शिक्षा प्रारम्भ करने में। उसके जीवन के तीन वर्ष व्यर्थ चले गए। हमारे यहाँ शास्त्रों में लिखा है - बच्चे की शिक्षा मां के पेट में आने पर ही शुरु हो जाती है। अर्जुन – पुत्र अभिमन्यु इसका एक सशक्त उदाहरण है।''
भावी माताओं को चाहिए इससे शिक्षा लें... और गर्भकाल के दौरान अपनी संतान की शिक्षा का यथोचित ध्यान रखें, अच्छी बातें सुने, अच्छे काम करें, अच्छा साहित्य पढे, खान-पान का समुचित ध्यान रखें एवं दिन-रात धर्ममयी रहे, ताकि आने वाली संतति संस्कारी हो।
। एवं खु तप्पालगे वि धम्मो ।।
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