________________
एक गाँव था। उसमें रहने वाले सभी अक्ल के दुश्मन थे। एक रोज बारिश के दिनों में कहीं से गाँव में एक मेंढक आ गया। सारा गाँव उसे देखने के लिए इकट्ठा हुआ; लेकिन कोई भी समझ नहीं पाया कि यह कौन सा प्राणी है। अतः एक ने अटकल लगाई। वह सोच-विचारकर बोला, 'मुझे तो यह घड़ियाल का बच्चा मालूम पड़ता है।" दूसरा तपाक से बोला, “काठ के उल्लू, यह घड़ियाल का नहीं, कछुए का बच्चा है।" तीसरे ने टोका, "कछुए का बच्चा क्या ऐसा होता है ? यह तो हाथी का बच्चा है।" यह सुनकर सब ने सिर पीट लिया। आखिरकार यह तय हुआ कि गाँव के बुजुर्ग मियाँ लाल बुझक्कड़ से पूछा जाए। दो लोग जाकर मियाँजी को बुला लाए। उन्होंने आँखों पर ऐनक पढ़ाकर बड़े गौर से मेंढक को देखा और मुस्कुरा दिए। फिर गर्व से कहा, "इसके आगे चुटकी भर दाने डालो। अगर चुगने लगे तो समझो कि यह काली चिड़िया है, वरना चमगादड़ तो होगा ही।"
ज्ञान जीवन की चाबी है।
अक्ल
दुश्मन
ज्ञानी से ज्ञानी मिले, रस की लूटम लूट । अज्ञानी से अज्ञानी मिले, होवे गाथा कूट ।