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आत्मबोध एक बार एक गुरु आत्मा के बारे में अपने एक शिष्य
को समझा रहे थे। पर शिष्य कहता, "आत्मा को कैसे मानें ? वह दिखाई तो देती नहीं ।" हारकर गुरु ने शिष्य से कहा, "अच्छा, जाओ, सामने के पेड़ से फल ले आओ।" शिष्य गया और फल ले आया। गुरु ने कहा, "इस फल को तोड़ डालो।" शिष्य ने वैसा ही किया। गुरु ने पूछा, “इसमें तुम्हें क्या दिखाई देता है ?" शिष्य ने उत्तर दिया, "गुरुदेव ! इसमें बीज दिखाई दे रहा है ।" गुरु ने कहा, "इस बीज को पीस डालो।" शिष्य ने बीज को पीस डाला। गुरु ने पूछा, “अब तुम्हें क्या दिखाई देता है ?" शिष्य ने बड़े ध्यान से देखा और बोला, "गुरुजी, अब तो कुछ भी दिखाई नहीं देता।'' तब गुरु ने कहा, "वत्स ! जो तुझे दिखाई नहीं देता उसी से इतना बड़ा वृक्ष पैदा हुआ है ।
बीज के अंदर जो शक्ति है वही आत्मा है। और तू भी वही है । " शिष्य की समझ में सारी बात आ गई ।
शरीर यही छूट जायेगा | आत्मा परलोक में जायेगी। अतः शरीर की चिंता कम कर के आत्मा की चिंता अधिक करनी चाहिये ।
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