________________
346
346 346
348
सामायिक में अन्तर विरति में अन्तर जीवदया पालन में अन्तर अणुव्रत-महाव्रतों का अन्तर जीवन व्यवहार में अन्तर पंचाचार पालन में अन्तर पूजा में अन्तर
षडावश्यक में अन्तर 2. श्रावकों के आचार में सापेक्ष स्थूलता
गम्य धर्म लोकोत्तर धर्म दैनिकचर्या और धर्म आहारचर्मा षड् आवश्यक यतिधर्म
परिषह जय 3. श्रावकाचार की शब्दावली का अनुशीलन
आदिधार्मिक गृहस्थ आदिधार्मिक के लक्षण मार्गानुसारी की योग्यता (पैतीस गुण)
श्रावक के 21 गुण श्रावक के कर्तव्य ........
1. जिनाज्ञापालन करना 2. मिथ्यात्व का परिहार 3. सम्यक्त्व को धारण करना 4. षडावश्यक में तत्पर रहना 5. पर्वतिथियों में पौषध व्रत करना 6. दान 7. शील
शील के प्रकार
श्रावक के शील 8. तप 9. भाव 10. स्वाध्याय 11. नमस्कार 12. परोपकार 13. जयणा 14-16 जिनपूजा-जिन-स्तवन, गुरु स्तवन 17. सार्मिक वात्सल्य 18. व्यवहार शुद्धि 19. रथयात्रा 20. तीर्थयात्रा 21. उपशम 22. विवेक 23. संवर 24. भाषा समिति का पालन करना 25-30 षड् जीवनिकाय पर करुणा 31. धार्मिक जनों से सत्संग 32. करणदमन 33. चरण परिणाम 34. संघ बहुमान
359 359
360 360
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org