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अनुपम आशीर्वचन
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अनुपम आशीर्वचन
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आशीर्वचन
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अनुपम आशीर्वा
अनुपम आशीर्वचन
अतपम आशीर्व
विश्वपूज्य प्रातः स्मरणीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी गुरुभ्यो नमः
राष्ट्रसंत आचार्य विजय जयन्तसेन सूरि
विश्व की अजोड कृति, अद्भुत ग्रन्थ श्री अभिधान राजेन्द्र कोश, जिसे 10 महिला संपूर्ण विश्व में व्यास है। जिस में जैन जैने तर ग्रन्थों का आशीर्वा संदर्भ असाधारण रूप से अलेखित हैं।
प्राकृत संस्कृत में सुशोभित इस ग्रन्थ में बिजनों के लिये विभिन्न प्रकार का मार्गदर्शक संकलन संयोजिल हैं।
अनु
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचार परक अनुप शब्दावली को देख प्रसभा हुई।
ओ व्हेलखेडडतीर्थ हिरन
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शीर्वचन
बेचन
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दर्शितजीने बी. एच डी कर के ग्रन्थ क संदर्भित बातें को ओर स्पष्ट करने का प्रयास किया है जो अभिनंदनीय है।
ग्रन्थ पर भी सीस लिखना सामान्य बात नहीं है। साध्वीजी को अपनी गवेषक रष्टि रख कर यह आलेखन किया है जो प्रशंसनीय है।
मेरी ओर से हार्दिक अभिनंदन के साथ अशी वचन देता हूँ किसानी ज्ञान, ध्यान, स्वाध्याय आश की प्रवृद्धिों प्रगति करें।
दार्शनिक
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शीर्वचन
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मलाशीव