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________________ आगम प्रकाशक संस्थाओं के नाम व पते 521 ३५.दिवाकर दिव्यज्योति कार्यालय,महावीर बाजार,ब्यावर-३०५९०१ ३६ श्रुतज्ञान भवन, ४५ दिग्विजय प्लोट, जामनगर आगम/टीका एवं जैन साहित्य विक्रय-केन्द्र १. सरस्वती पुस्तक भण्डार, हाथी खाना, रतनपोल, अहमदाबाद (गुजरात) २. पार्श्व प्रकाशन, जवेरी वाड़, निशा पोल, अहमदाबाद (गुजरात) ३. मोतीलाल बनारसीदास, ४१ UAबैंग्लो रोड़, जवाहर नगर, दिल्ली-११०००७ सूचनाएँ १. जिनवाणी का यह 'जैनागम-साहित्य विशेषाङ्क' जनवरी-फरवरीमार्च-अप्रेल २००२ का संयुक्ताङ्क है। अब मई २००२ से प्रत्येक माह नियमित अंक प्रकाशित होगा। आप इस विशेषाङ्क का स्वाध्याय कर अपनी सम्मति से अवश्य अवगत करावें।। २. विशेषाङ्क के बढ़ते आकार को ध्यान में रखते हुए, इसमें आगमों से सम्बद्ध समीक्षात्मक विषयों पर लेखों का समावेश नहीं किया जा सका है। उन लेखों को जिनवाणी के किसी अंक में एक साथ प्रकाशित करने का प्रयास रहेगा। वह अक इस विशेषाङ्क का पूरक अंक होगा।-सम्पादक जिन महानुभावों से इस विशेषाङ्क हेतु अर्थ सहयोग प्राप्त हुआ है। उनकी नामावली आगामी अंक में दी जायेगी। जो महानुभाव इस विशेषाङ्क की प्रसन्नता में अर्थसहयोग करना चाहें, वे न्यूनतम ५००/- रुपये की राशि 'जिनवाणी' जयपुर के नाम से बैंक ड्राफ्ट या मनीआर्डर द्वारा भेज सकते हैं। उनके नामों का उल्लेख जिनवाणी के आगामी अंकों में किया जायेगा। -प्रकाशचन्द डागा, मंत्री, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, बापू बाजार, जयपुर- 302003, फोन नं. 565997 Rel sountaie PLANET - आचार्य श्री हस्ती बीवन-चरित्र का प्रकाशन - युगमनीषी आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. के जीवन चरित्र का प्रकाशन शीघ्र संभावित है। समिति की योजना के अनुसार इस ग्रन्थ की १० हजार प्रतियां प्रकाशित की जायेंगी। प्रत्येक अर्थ सहयोगी से २० हजार रूपये का स्वैच्छिक अर्थ सहयोग लिया जाएगा। अर्थ सहयोगियों की| नामावली का अकारादि क्रम से ग्रन्थ में प्रकाशन किया जाएगा तथा उन्हें ग्रंथ की २५ प्रतियाँ नि:शुल्क दी जायेंगी, जिसका उपयोग वे अपने परिचितोंपरिजनों हेतु कर सकेंगे। इस योजना में जुड़कर अपनी भक्ति का परिचय देने वाले महानुभाव शीघ्र सम्पर्क करें-ज्ञानेन्द्र बाफना, अध्यक्ष, आचार्य श्री हस्ती जीवन चरित्र समिति, सी-55, शास्त्री नगर, जोधपुर, फोन नं. 0291-434355. 645061 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003218
Book TitleJinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2002
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, & Agam
File Size23 MB
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