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अन्तकृत दशासूत्र का समीक्षात्मक अध्ययन
215] १७५-१७६ २२. महाभारत शान्तिपर्व अ. ४८ २३. श्रीमद्भगवद्गीता। २४. महाभारत-अनुशासन पर्व १४७/१८-२० २५. शतपथब्राह्मण, १३/३/४ २६ तैत्तरीयारण्यक,१०/११ २७. महाभारत–वनपर्व १६-४७. उद्योग पर्व ४८.१ २८. छान्दोग्योपनिषद् अ.३ खण्ड १७, २ श्लोक ६, गीताप्रेस गोरखपुर । २९. श्रीमद्भागवत-दशम स्कन्ध ८-४८, ३/१३/२४-२५ ३०. भगवान अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्रीकृष्ण- एक अनुशीलन, पृष्ठ १७६ से १८६ ३१. जातककथाएँ, चतुर्थ खण्ड ४५४ में घटजातक-भदन्त आनन्द कौशल्यायन। ३२ समवायांग, १५८ ३३. आवश्यकनियुक्ति, गाथा ४१५ ३४. अन्तकृद्दशा, वर्ग १ से ३ तक ३५. (क) ऋग्वेद १/१४/९५ / ६
(ख) ऋग्वेद १/२४/१८०/१० (ग) ऋग्वेद ३/४/५३/१७
(घ) ऋग्वेद १०/१२/१७८/१ ३६. ऋग्वेद १/१४/८९/९,१/१/१६,१/१२/१७८/१ ३७. यजुर्वेद २५/१८ ३८. सामवेद ३/८ ३९. महाभारत शान्ति पर्व- २८८/४ ४०. महाभारत शान्ति पर्व-२८८/५/६ ४१. वाजसनेयि :माध्यन्दिन शुक्लयजुर्वेद, अध्याय ८ मंत्र २५, सातवलेकर संस्करण
(विक्रम १८९४) ४२. Indian Philosophy संस्करण(विक्रम १८९४) ४३. स्कन्धपुराण प्रभास खण्ड ४४. प्रभास पुराण ४८/५० ४५. मोक्षमार्ग प्रकाश, पण्डित टोडरमल। ४६. बौद्ध धर्म दर्शन, आचार्य नरेन्द्रदेव पृ.१६२ ४७. अन्नल्स ऑफ दी भण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट पत्रिका २३, पृ. १२२॥ ४८. भारतीय संस्कृति और अहिंसा पृ. ५७ ४९. तद्धैतद् घोरं अंगिरस: कृष्णाय देवकीपुत्राय। - छान्दोग्योपनिषद् प्र.३, खण्ड १८१ ५०. अन्तकृद्दशासूत्र वर्ग ५, अध्ययन १ ५१. भगवती शतक ५, उद्देशक ४ ५२. डॉ. नेमिचन्द शास्त्री-प्राकृत साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, पृ. १७६
-ओ.टी.सी. स्कीम, उदयपुर
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