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________________ उद्बोधक कथाएं २९९ बाबा को वहां से निकाला। शरीर की मरहमपट्टी की। भक्तों ने बाबा से पूछा- आज रात को यह घटना कैसे घटित हुई ? बाबा ने कहा- तुम लोग घटना की बात बाद में करना। पहले तुम उस पुस्तक और कलम को लाओ। मैंने अपने अनुभवहीन ज्ञान के कारण जो भूल की है, पहले मैं उसे सुधारूंगा। भक्तजन पुस्तक और कलम लेकर आए। बाबा ने जहां 'शीलं सुकरम्' लिखा था उसके स्थान पर 'शीलं दुष्करम्, दुष्करम्, महामहादुष्करम्' लिख दिया । भक्तलोग फिर भी उसकी बात नहीं समझे। बाबा ने सरलमना होकर अथ से इति तक आपबीती सुनाई और लोगों से कहा कि वास्तव में ब्रह्मचर्य की साधना दुरूह है, शील का पालन करना सरल नहीं है, अतिदुष्कर है। १६. आकांक्षा से अनाकांक्षा की ओर कौशाम्बी नगर का राजपथ प्रायः जनसमूह के आवागमन से जनसंकुल बना रहता था। आज वह दर्शकों की भीड़ से आकीर्ण था। कौशाम्बी के नवनिर्वाचित राजपुरोहित की सवारी उस पथ से गुजर रही थी। वे घोड़े पर सवार थे। उनके सिर पर छत्र था। राजसी लवाजमा उनके साथ था। राजपुरोहित बड़े ही शाही ठाठ-बाट से लोगों का अभिनन्दनअभिवंदन स्वीकार करते हुए राजसभा की ओर बढ़ रहे थे। पूर्व राजपुरोहित की विधवा पत्नी यशा अपने पुत्र कपिल के साथ खड़ी-खड़ी उस दृश्य को देख रही थी। अचानक उसकी आंखों से अश्रुधारा बह चली। अपनी मां को इस प्रकार रोते देखकर कपिल ने उसका कारण जानना चाहा। मां ने साड़ी के अंचल से अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहा - वत्स । एक समय था जब तुम्हारे पिताश्री काश्यप भी इसी प्रकार छत्र लगाकर राजदरबार में आया-जाया करते थे । वे चौदह विद्याओं के पारगामी विद्वान् थे। राजा उनका बहुत ही मान-सम्मान किया करते थे। वे एक प्रकार से मानित राजगुरु थे। जिस समय तेरे पिता दिवंगत हुए उस समय तू अवस्था में बहुत छोटा था, इसलिए राजा ने तेरे स्थान पर दूसरे ब्राह्मण को नियुक्त कर दिया। तू अवस्था के कारण उस पद से वंचित रह गया। आज इस दृश्य को देखकर मुझे तेरे पिताश्री की स्मृति हो आई, इसलिए मेरी आंखों में आंसू आ गए। मां! तब तो मैं भी पढ़-लिख कर विद्वान् बनूंगा, कपिल ने अपनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003217
Book TitleSindurprakar
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorRajendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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