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________________ . भगवान महावीर के पूर्व से भारत में राजसत्तायें गणतंत्र के रूप में उदित हो चकी थी। जितने भी गणतंत्र स्थापित हुए, उनमें वृजि संघ' अधिक बलशाली था, जिसे 'वज्जीसंघ' भी कहते थे। यह भगवान् महावीर के पिता सिद्धार्थ से संबंधित था, वैशाली मिथिला आदि के साथ मिलकर बिना भेदभाव के सब राज्यों का एक विशाल गणतंत्र बन गया था। गणपति का चुनाव कम से होकर इस संघ में कुमार वर्धमान 'कुमारामात्य' पद पर रहकर लोककल्याण और प्रजा के दु:ख दर्द दूर करने के कार्य में संलग्न रहते थे। __ भगवान महावीर के समय धार्मिक एवं दार्शनिक क्रांति भी हो रही थी। गौशाल, पूरण, कश्यप, कात्यायन अपने-अपने सिद्धांत का प्रचार कर रहे थे। ___ श्वेत केतु, उद्दालक, याज्ञवल्क आदि वैदिक व उपनिषद ज्ञाता, अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे। उधर चीन में कनफ्युशस, लाओत्से तथा ईरान में जरथुस्त, यूनान में पैथेगोरस, फिलिस्तीन में मूसा आदि विचारक एवं धर्म-प्रवर्तक हुए थे। गौतमबुद्ध श्रमणानुयायी श्रमणांतर्गत थे ही। भगवान् महावीर के नाना चेटक और मौसा महाराज श्रेणिक (बिंबसार) थे, जो राजगृह के नृपति थे। श्रेणिक के एक पुत्र कुणिक (अजातशत्रु) ने अपने पिता को राज्य की लालसा से बन्दी बनाकर कारागृह में यातना देना प्रारंभ कर दिया था। उसी ने चेटक से भी युद्ध करके वैशाली को क्षति पहँचाई। भगवान् महावीर के पावापुरी में परिनिर्वाण के एक हजार वर्ष बाद चन्द्रगुप्त के गुप्तवंशीय समुद्रगुप्त ने वैशाली और गणराज्यों को बिलकुल नष्ट कर दिया। इस विनाशलीला से वहाँ की बहुत-सी प्रजा बाहर भाग गई। कुछ ने धर्म-परिवर्तन कर लिया। राजगृही, नालंदा (मगध) आदि स्थानों पर श्वेताम्बर-दिगम्बर दोनों ने ही नई बस्ती बनाकर भगवान् महावीर के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा और जैनत्व के गौरव को न भुलाते हुए, वहीं मंदिर का निर्माण कर भगवान् के गर्भ, जन्म, तप कल्याणक मनाना तथा वार्षिक मेला प्रारंभ कर दिया। __ भगवान् महावीर के मुनि जीवन के चातुर्मास (वर्षायोग) प्राय: वहीं होते रहे। ‘पावापुर' सिद्धक्षेत्र भी वहीं था। श्वेताम्बर, दिगम्बर पहले तो साथ रहे, पीछे वहीं दूरी पर श्वेताम्बरों ने अपना प्रथक क्षेत्र बना लिया। इसप्रकार 1500 वर्ष का दीर्घकाल व्यतीत हो जाने पर भी मगध के इस कुण्डलपुर का विकास नहीं हो सका। इसका कारण हमारी समझ से सम्मेदशिखरजी के समान दोनों सम्प्रदायों का साथ रहना है। वर्तमान में पुरातत्व की शोध व खोज के कारण पुन: विदेह का प्राचीन कुण्डलपुर एवं वैशाली प्रकाश में आ रहे हैं। इनकी जो दुर्दशा हुई है, उससे कुण्डलपुर का गौरवपूर्ण स्थान नहीं रहा। पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्रप्रसाद जी द्वारा भगवान् महावीर के जन्म स्थल, पूर्व स्मारक कुण्डपुर के वहाँ महावीर स्मारक की स्थापना वि.सं. 2012 में कर दी गई है। तीर्थ-प्रबंध 00 56 प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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