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________________ आवरण पृष्ठ के बारे में विदेह - कुण्डपुर (वैशाली) में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भगवान् वर्धमान महावीर की जन्मभूमि विदेह - कुण्डपुर (वैशाली) में 'अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी' जैसी सुप्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था के तत्त्वावधान में भगवान् महावीर की एक भव्य एवं नयनाभिराम प्रतिमा का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सन् 2005 में अत्यंत गरिमापूर्वक मनाये जाने की योजना बन चुकी है। इसके निमित्त इटली से शरदपूर्णिमा की चाँदनी जैसा धवल एवं आभावान् संगमरमर का पाषाण-खण्ड चुन लिया गया है । तथा विशेषज्ञ मूर्तिकार उसकी एक भव्य और विशाल प्रतिमा बनाने के लिये कार्यरत हैं । यह समस्त कार्य धर्मानुरागी श्री साहू रमेश चन्द्र जैन, अध्यक्ष, दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी तथा श्री नरेश कुमार सेठी, अध्यक्ष, अतिशयक्षेत्र श्रीमहावीरजी कमेटी आदि अनेकों सुप्रतिष्ठित धर्मानुरागी महानुभावों की सक्रिय देखरेख में अत्यन्त सावधानी और गरिमापूर्वक सम्पन्न हो रहे हैं । इस प्रतिष्ठा-महोत्सव की गरिमापूर्ण सफलता के लिये जैनसमाज के वरिष्ठतम आचार्य परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज से विनम्र अनुरोध किया गया है। इसके पीछे समाज का यही आशय है कि पूज्य आचार्यश्री के पावन सान्निध्य एवं मार्गदर्शन में गोम्मटेश्वर सहस्राब्दी महामस्तकाभिषेक समारोह (1981), गोम्मटगिरि की स्थापना का भव्य-समारोह, श्रीमहावीरजी सहस्राब्दी महामस्तकाभिषेक समारोह आदि अनेकों कार्यक्रम अभूतपूर्व गरिमापूर्वक सम्पन्न हुये हैं, तथा उन्हीं के सान्निध्य में यह कार्यक्रम भी श्रेष्ठता के नये मापदण्ड स्थापित करेगा । परमपूज्य आचार्यश्री ने उस समय के स्वास्थ्य की अनुकूलता आदि परिस्थितियों को देखते हुये कार्यक्रम में सान्निध्य प्रदान करने की अनुमति दी है । सम्पूर्ण समाज की ओर से यही मंगल - प्रार्थना है कि पूज्य आचार्यश्री का स्वास्थ्य अनुकूल रहे, और उनकी पावन - सन्निधि में यह कार्यक्रम सम्पन्न हो सके । यदि किसी स्वास्थ्य आदि अपरिहारी कारणवश पूज्य आचार्यश्री स्वयं इस कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो सके, तो उनकी ओर से कोई विशिष्ट प्रतिनिधि ( मुनिराज ) अवश्य इस अवसर पर वहाँ सक्रियरूप से उपस्थित रहेंगे। वैसे वर्तमान स्वास्थ्य एवं मनोदशा को देखते हुये यह पूर्ण विश्वास है कि पूज्य आचार्यश्री की पावन - सन्निधि में ही यह पंचकल्याणक - प्रतिष्ठा-महोत्सव अभूतपूर्व गरिमा और उच्चस्तरीय आयोजन के साथ सम्पन्न होगा । पूज्य आचार्यश्री ने इस कार्यक्रम को अपना मंगल- आशीर्वाद तथा कार्यक्रम में स्वयं उपस्थित रहने की स्वीकृति मात्र इसीलिये प्रदान की है, कि अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर तीर्थक्षेत्र कमेटी ही भारत के दिगम्बर जैन तीर्थों की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था है, और उसके विरुद्ध प्राचीन तीर्थस्थानों सम्बन्धी किसी भी विवाद को प्रश्रय न मिले, तथा सभी लोग अच्छी तरह जान लें, कि भगवान् महावीर की जन्मभूमि 'विदेहकुण्डपुर' (वैशाली) ही थी, न कि मगध प्रान्त के ‘नालन्दा' के समीपवर्ती 'बडगांव'sbnal Use Only Jain सम्पादक www.jainenbrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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