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________________ संस्थान के सदस्य होकर अल्पसंख्यक माने जायेंगे? 2. क्या ऐसे संस्थानों को इसलिये अल्पसंख्यकों का शैक्षिक संस्थान माना जाये, चूंकि इसकी स्थापना ऐसे व्यक्ति ने की है जो धार्मिक और भाषाई तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है या इसका संचालन ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है, जोकि अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखता है। 3. क्या अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छा के अनुसार शैक्षिक संस्थान की स्थापना और संचालन का अधिकार है, जिसमें विद्यार्थियों की दाखिला-प्रक्रिया भी निहित है। 4. क्या अनुदान अथवा गैर अनुदान-प्राप्त ऐसे संस्थानों में छात्रों के प्रवेश-संबंधी प्रक्रिया पर राज्य सरकार अथवा उस विश्वविद्यालय का नियंत्रण होगा, जिसके वह संबद्धित हैं। 5. सेंट स्टीफंस कालेज के मामले में 1992 में अदालत ने जो अनुपात रखा है, क्या वह उचित है? 6. अनुच्छेद 30(1) में उल्लिखित धर्म की अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है? क्या ऐसे धर्म अनुयायी भी अनुच्छेद 30(1) के तहत संरक्षण हासिल कर सकते हैं, जो एक राज्य में अल्पसंख्यक हैं, लेकिन अन्य राज्यों में वह बहुसंख्यक-श्रेणी में हों? यह मामला अक्तूबर 1993 में शुरु हुआ था, तब पाँच सदस्यीय संविधानपीठ ने इसे सात सदस्यीय संविधानपीठ के सुपुर्द कर दिया था। तब पहला सवाल यह था कि भारतीय-संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार अल्पसंख्यक का अर्थ और सारांश क्या है? दूसरा सवाल अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों की अभिव्यक्ति से संबंद्धित है और तीसरा यह कि क्या अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों में संबद्धित-राज्य अथवा विश्वविद्यालय को हस्तक्षेप का अधिकार है और क्या वह संबंधित धार्मिक समुदाय के छात्रों को कुल क्षमता का 50 प्रतिशत प्रवेश दे सकती है? 18 मार्च 1994 को एक सात सदस्यीय खंडपीठ ने इन प्रश्नों की संख्या तीन से बढ़ाकर सात कर दी। उसके बाद 7 जनवरी 1997 को फिर सात सदस्यीय खंडपीठ ने प्रश्नों को पुनर्गठित किया। - (दैनिक जागरण, बुधवार 3 अप्रैल, 2002, दिल्ली) ** सिख, बौद्ध व जैन को हिन्दू से अलग धर्म मानने का सुझाव सिख, बौद्ध एवं जैन-मतावलंबियों की अलग-पहचान को मान्यता देने की मंशा से संविधान-समीक्षा आयोग ने सिफारिश की है कि सिख, बौद्ध और जैन पंथ को हिंदू-मत से 'अलग-धर्म' का माना जाना चाहिए और कहा कि इन पंथों के मतावलंबियों को हिंदुओं से जोड़नेवाले संवैधानिक प्रावधान को खत्म कर देना चाहिए। गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 25 की मौजूदा स्पष्टीकरण-2 (अन्त:करण की आजादी व स्वतंत्र-व्यवसाय, आचरण व धर्म-प्रचार) के तहत कहा गया है कि हिंदुओं के संदर्भ से सिख, बौद्ध व जैनधर्म माननेवाले लोगों को भी शामिल करके अर्थ लगाया जाएगा और हिंदुओं की धार्मिक-संस्थाओं का आशय भी उसी तरह होगा। रविवार को सरकार को सौंपी गई न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया आयोग की सिफारिश के अनुसार संविधान के अनुच्छेद-25 के स्पष्टीकरण-2 को संविधान से हटाने के लिए कहा गया है। आयोग ने यह भी कहा है कि अनुच्छेद-25 में एक उपनियम जोड़ दिया जाए, प्राकृतविद्या+जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 00 197 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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