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महावीर जन्मकल्याणक-महोत्सव
-अनूपचन्द्र न्यायतीर्थ
छब्बीस-सौवाँ जन्मकल्याणक, महामहोत्सव वीर का । त्रिशलानन्दन सन्मतिदाता, वर्द्धमान महावीर का ।।
इक्कीस-सौंवी नयी सदी में, मना रहे हम लोग हैं। प्रथम जन्मकल्याण-महोत्सव, यह उत्तम संयोग है ।।
राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा, राजकीय सम्मान से । पूर्ण विश्व में दृढ़ श्रद्धा से, मने अनोखी शान से ।। सत्य-अहिंसा-स्याद्वाद अरु, अनेकान्त के जोर से। पूर्णशान्ति-साम्राज्य प्रकट हो, आशा है चहुँओर से ।। नहीं रहेगा नाम कहीं पर, उग्रवाद आतंक का। लूटपाट-अन्यायी-चोरी, भ्रष्टाचार-कलंक का ।। नहीं अशिक्षित होगा कोई, हमें पूर्ण विश्वास है। नहीं सोयेगा भूखा कोई, रहने को आवास है ।। 'जीओ अरु जीने दो' नारा, गूंजे सारे देश में । जीने का अधिकार सभी को, हो कैसे भी वेश में ।।
समताभाव जगे उर-अंतर, सबसे मैत्रीभाव हो। ऊँच-नीच का भेद नहीं हो, सर्वधर्म-समभाव हो ।।
पूर्ण अहिंसावर्ष रहे यह, कहीं नहीं उत्पात हो । बूचड़खाने बन्द होंय सब, मांस नहीं निर्यात हो ।। सर्वसुखी हो दुःखी न कोई, पूर्ण विश्व में हर्ष हो । ऐसा 'अनुपम' मने महोत्सव, सभी तरह उत्कर्ष हो ।।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-जून'2001 (संयुक्तांक) + महावीर-चन्दना-विशेषांक 40 41
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