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________________ Jain केवल तकनीकी बल्कि आर्थिक सहयोग भी प्रदान किये जाने की घोषणा की। डॉ० अग्रवाल ने अपने स्वर्गीय माता-पिता के नाम से स्थापित ट्रस्ट की ओर से 2,000/- रुपये मासिक की एक छात्रवृत्ति की घोषणा भी इस अवसर पर की । -सम्पादक ** 'श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000' भारतीय ज्ञानपीठ को प्राप्त प्रस्तावों की समीक्षा के उपरान्त निर्णायक मंडल की सर्वसम्मत अनुशंसा के आधार पर कार्यकारिणी की सहमति से संस्थान के अध्यक्ष महोदय द्वारा 'श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000' 'भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली' को प्रदान करने की घोषणा की जाती है । इस पुरस्कार के अन्तर्गत रुपये 1,00,000 की राशि शाल श्रीफल एवं प्रशस्ति प्रदान की जायेगी । -डॉo अनुपम जैन, इन्दौर ** 'वर्धमान महावीर ऑडियो कैसेट का लोकार्पण भगवान महावीर के 2600 वें जन्मोत्सव के निमित्त आयोजित विशाल समारोह में परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में परेड ग्राउण्ड दिल्ली में दिनांक 3 अप्रैल को धर्मानुरागी साहू श्री रमेश चन्द्र जी के करकमलों से 'वर्धमान महावीर ' ऑडियो कैसेट का संगीतमय वातावरण में भव्य लोकार्पण हुआ । इस कैसेट में डॉ० उमा गर्ग, रीडर संगीत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के मधुर कण्ठ से भगवान महावीर विषयक अनेक पदों की संगीत के साथ गाथा गाई गई है इस कैसेट के निर्माता श्री अनिल कुमार जी जैन काठमाण्डू वाले I -डॉ० वीरसागर जैन, नई दिल्ली ** देश का पहला जैन संग्रहालय मथुरा में फैडरिक सामन ग्राउज द्वारा 1874 में कलक्टरेट परिसर में स्थापित संग्रहालय 67 वर्ष बाद पुन: विधिवत् शुरू होने जा रहा है। प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इसे जैन - संग्रहालय के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह संग्रहालय देश का पहला जैन संग्रहालय होगा। इसका संचालन स्वतंत्र ट्रस्ट करेगा। ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है । जुलाई से आरंभ होने वाले जैन संग्रहालय के साथ शोध संस्थान भी शुरु करने की योजना है। आधुनिक मथुरा की विशिष्ट पहचान का प्रतिनिधित्व करनेवाला मथुरा - संग्रहालय अपनी समृद्धि के कारण नवीन उपलब्ध के संकलन को तैयार हो रहा है। जनपद के जैन-संस्कृति का प्रमुख केन्द्र होने के कारण यहाँ जैन संग्रहालय की स्थापना लंबे समय से अनुभव की जा रही थी । भगवान महावीर स्वामी की पहली मूर्ति व जैनस्तूप मथुरा में ही प्राप्त हुआ था। जैनसमाज के अंतिम केविली जम्बूस्वामी भी लंबे समय तक यहाँ रहे थे 1 इसकारण जैनमतावलंबियों का जनपद से स्वाभाविक जुड़ाव रहा है । वर्ष 1874 में मथुरा तत्कालीन कलक्टर एफ०एस० ग्राउस ने यहाँ की सघन मूर्तिकला के संरक्षण व जनसामान्य के अवलोकन के लिए संग्रहालय की स्थापना की। उस समय कलक्ट्रेट परिसर में बने अतिथिगृह को संग्रहालय का रूप दे दिया गया था। 1934 में प्राकृतविद्या जनवरी- जून 2001 (संयुक्तांक) महावीर चन्दना-विशेषांक 137
SR No.003215
Book TitlePrakrit Vidya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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