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माँ, शारदे वर दे
प० कमला प्रसाद मिश्रा
माँ, शारदे वर दे,माँ, शारदे वर दे, माँ स्वर मुझको दे, माँ वाणी मुझको दे,
माँ मुझ में नहिं भक्ति, माँ शक्ति नहिं मुझमें
अज्ञानी मैं मूरख हूँ, अर्पण सब है तुझमें अपना कर बालक को, बस एक सहारा दे
माँ, शारदे वर दे............
बिना तेरी कृपा कोई, कुछ प्राप्त नहीं करता व्याकुल रहता है तन, मन धीर नहीं धरता नई राह दिखाकर माँ, एक नूतन जग तू दे
माँ, शारदे वर दे......
गुण गाऊँ सदा तेरे, मेरी वाणी में बल दे संगीत की श्रुतियों में, तू अमृत सा भर दे अर्पण जीवन कर दूँ, अनुरक्ति ऐसी दे
माँ, शारदे वर दे........
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कलाकार प्रकृति प्रेमी है, अतएव वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।
--------रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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