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चालीसा
बंदी पाठ करें शत बारा । बंदी पाश दूर हो सारा ।।
यदि कोई बंदी सौ बार इस चालीसा का पाठ करे, तो वह सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त हो जाता है ।
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी ।
मो कहं दास सदा निज जानी ।।
हे माँ भवानी ! मुझे अपना अनन्य सेवक समझकर कृपा कीजिए और मुझे भवसागर से मुक्ति दिलाइए ।
"दोहा "
माता सूरज कान्ति तव, अंधकार मम रूप । डूबन ते रक्षा करहु, परूं न मैं भव - कूप । । मां ! आपकी कांति सूर्य के समान है और मेरा रूप अंधकार
की भाँति। मुझे संसाररूपी कूप में डूबने से बचा लें ।
बल बुधि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु । अधम रामसागरहिं तुम आश्रय देउ पुनातु ।।
हे मां ! मुझे बल, बुद्धि और विद्या दें। राम सागर जैसे अधम को आप ही आश्रय दे सकती हैं। रक्षा करो !
|| चालीसा समाप्त । ।
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