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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ]
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कंसारों
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इनके अलावे सवाल पोरवाल श्रीमालों के ८४००० वार संघ आये ४ जैनेतर धर्म में काल का मान इस प्रकार माना है।
१७२८००० वर्ष का कृतयुग का काल १२६६००० वर्ष का एक त्रेतायुग काल ८६४००० वर्ष का एक द्वापर काल
४३२००० वर्ष का एक कलि युग काल
वर्तमान कलियुग काल है जिसके ५०४४ वर्ष व्यतीत हो चुके शेष ४२६६५३ वर्ष रहे हैं
५ ईरानी बादशाह सिकन्दर भारत में आया उस समय एक ईरानी लेखक ने भारत के विषय में लिखा है
कि भारत की जनता
१- किसी भी मकान के दरवाजे पर ताला नहीं लगाया जाता था
२ - स्त्रियाँ अपने पति के अलावा ब्रह्मचर्य व्रत पालन करती थी
३- भारत के लोग बड़े ही पराक्रमी और परिश्रम जीवी थे
[ मुख्य २ घटनाओं का समय
४ - कोई भी व्यक्ति झूठ नहीं बोलता था यानि सत्यवादी लोग थे
६ वि० सं० १५८० कर्माशाह के उद्धार की प्रतिष्ठा के समय तमाम गच्छ के आचार्य और श्री संघ ने यह निर्णय किया कि इस शत्रुञ्जय तीर्थ पर किसी गच्छ का भेदभाव एवं पक्षपात नहीं रखा जायगा
७ बल्लमी नगरी में वि० सं० ५१० में श्रीसंघ सभा हुई आर्य देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमणजी की अध्यक्षता में आगम पुस्तकारूढ़ हुए उस समय वहाँ पर राजा प्रसेन का राज था ।
= श्रीमान् देशलशाह ने चौदह वार तीर्थों की यात्रार्थ संघ निकाला जिसमें चौदह करोड़ द्रव्य खर्चा तथा
आपके पुत्र समरसिंह ने शत्रुञ्जय का पन्द्रहवाँ उद्धार करवाया जिसमें २७७०००००० रुपये व्यय किये
६ कर्मासिंह ने शत्रुञ्जय के सोलहवें उद्धार में १२५००००० द्रव्य व्यय किया
१० वि० सं० १६६१ में एक जनसंहार दुकाल पड़ा जिसमें संवत्री राजिया वाजिय ने अपने करोंड़ों का द्रव्य अर्थात सर्वस्व देश के अर्पण कर दिया था
११ चीनी लोग भारत की यात्रार्थ आये थे
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१ ईश्वी सन् ४४० के आसपास फइयन चीनो आया वह १५०० ताडपत्र के ग्रन्थ लेगया २ ई० सन् ६४० के आसपास हुयनत्संग आया वह १५५० ताडपत्रक प्रन्थ ले गया
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४ ई० सन् ७६४ के अासपास आया वह २५५० ताडपत्र के ग्रन्थ ले गया था ।
१२ भारत में कई संवत् चलते थे जैसे महावीर संवत्, बुद्धसंवत्, शकसंवत्, विक्रम संवत्, सिंह संवत्,
वल्लभी संवत्, गुप्त संवत्, कुशात संवत्, हेमकुमार संवत् इत्यादि
१३ गुर्जर प्रदेश के राजाओं के राज में जैन मुत्शदियों का अग्र स्थान था
१ श्रीमाल चम्पा शाह, उदायण, चाराड, बाहाङ, अम्बड इत्यादि
२ प्राग्वट नीनंग, लहरी, वीर, विमल, वस्तुपाल, तेजपालादि
३ ओसवालादि और भी सन्तु मेहता मुंझलमंत्री पृथ्वीपाल शुक सज्जन समरादि इत्यादि ६०० वर्षों तक वीर उदार जैनों ने ही राजतंत्र चलाया था ।
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१४ गुर्जर एवं सौराष्ट्र देश में कई बन्दर आये हुए हैं जैसे
१ खम्भात बंदर २ वेरावल बंदर ३ मांगरोल बंदर ४ दीव बंदर ५ घोवा बंदर ६ भरोंच बंदर ७ गंधार
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