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________________ ३२० २५० २२६ २२२ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ] [मुख्य २ घटनाओं का समय मुख्य २ षटनामों का समय वीर संवत् पूर्व का समय ३५० वर्ष भगावान् पार्श्वनाथ का जन्म पोष वद.१० भगवान पार्श्वनाथ की दीक्षा पोष वद.११ २५० भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण सम्मेत शिखर पर गणधर शुभदताचार्य संघ नायक पद पर प्राचार्य हरिदत्तसूरि संघ नायक पद पर सावत्थी नगरी में लोहित्याचार्य की दीक्षा २१८ लोहित्याचार्य को महाराष्ट्र प्रान्त में भेज कर धर्म प्रचार १५६ श्राचार्य हरिदत्तसूरि का पद त्याग और समुद्रसूरि संघनायक तथा विदेशी भाचार्य का उज्जैन में पदार्पण राजा राणी व केशीकुँवर की दीक्षा-कौसाबी नगरी में यज्ञ का आयोजन केशीश्रमण द्वारा अहिंसा का प्रचार समुद्रसूरि का पद त्याग और केशीश्रमणाचार्य संघ नायक कपिलवस्तु नगरो के राजा शुद्धोदत के वहाँ राजकुँवार बुद्ध का जन्म क्षत्रियकुण्ड नगर के राजा सिद्धार्थ के वहाँ भगवान महावीर का जन्म पाश्वनाथ संतानिया मुनि पेहित का कपिलवस्तु में जाना और धर्मोपदेश राजकुँवर बुद्धि का अपनी ३० वर्ष की आयु में दीक्षा लेना सिद्धार्थ राजा और त्रिसला राणी का स्वर्गवास " भगवान महावीर का गृहवास में वर्षदान का प्रारम्भ भ० महावीर ने अपनी ३० वर्ष की आयुष्य में दीक्षा ली (एकेले ) महात्मा बुद्ध राजगृह के सुपाश्वनाथ का मन्दिर में ठहरे ( वहाँ तक जैन थे) , मुडस्थल तीर्थ (आबू के पास में ) की स्थापना मूर्ति की प्रतिष्ठा केशीश्रमण ने की भगवान महावीर प्रभु को वैशाख शुक्ला १० को केवल ज्ञानोत्पन्न हुश्रा भ० महावीर रात्रि में ४८ कोश चलकर महासेनोद्यान में पधारे समवसरण हुआ वैशाख शुक्ला ११ के व्याख्यान में इन्द्रभूति आदि ४४११ ब्राह्मणों को दीक्षा दी भ० महावीर राजगृह नगर में पधारे राजकुंवर, मेघकुँवर, नन्दीषण को दीक्षा और राजा श्रेणिक, अभयकुँवार, सुलसादि ने धर्म स्वीकार किया। भ० महावीर ब्राह्मण कुण्ड नगर में पधार कर जमाली आदि ५०० उसकी स्त्री १००० के साथ तथा ऋषभदत्त ब्राह्मण और देवानन्द को दीक्षा दी भ० महावीर कौशम्बी नगरी में पधारे वहाँ राजा उदाई की भुआ जयन्ति को दीक्षा बाद श्रावस्ति नगरी में पधार कर सुमनभद्र सुप्रतिष्ठकों दीक्षा दी तथा वाणिज्य ग्राम के गाथा पति आनन्द और उसकी स्त्री सिवादेवी को श्रावक के व्रत दिये , भ० राजगृह नगर में पधारे गोतम ने काल के विषय के प्रश्न पूछे प्रभु ने उत्तर दिये तथा प्रसिद्ध सेठ धन्ना शालीभद्र को दीक्षा दी , भ० चम्पानगरी पधार कर राजकुमार महचन्द्र को दीक्षा दी, और वितभयपट्टण में जाकर १५५३ Jain Education ya tional २ wwwram mawwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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