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जैन मूर्तियों पर के शिलालेख ]
[ओसवाल सं० १५२८-१५७४ श्रीमद् उपकेशगच्छ की द्विवन्दनीक शाखा के आचार्यों के करकमलों से करवाई हुई मन्दिर मूर्तियों
की प्रतिष्ठाओं के शिलालेख १-संवत् १५२७ वर्षे वैसाख बदि ११ बुधे लांवडी वास्तव्व उकेश ज्ञातीय व्य० षीमसी भार्या वानू पुत्र व्य० गणमा भार्या चाबू पुत्र व्य० केल्हाकेन भार्या मामू बृद्ध भा० घूघा पुत्र मेघादि कुटुम्ब युतेन श्री मुनिसुव्रत स्वामी चतुर्विंशति पट्ट कारितः प्रतिष्ठितः ।। * वम्रगत चांइसगीया श्रीमर्तसूरि श्री उकेश विवंदणीक गच्छे प्रतिष्ठा कारिता । * (अक्षर अस्पष्ट है)
जैन लेख संग्रह प्रथम खंड लेखांक १८ २-संवत् १५६६ वर्षे माइ बदि ६ दिने प्राग्वट ६ ज्ञातीय पार विलाईश्रा भार्या हेमाई सुत देवदास भार्या देवलदे सहितेन श्री चन्द्रप्रभस्वामि बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं द्विवंदनीकगच्छे भ० श्री सिद्धिसूरीणां पट्टे श्री श्री कक्कसूरिभिः कालूर ग्रामे ॥
जैन लेख संग्रह खंड वेखांक ६६७ ३-१५८३ वर्षे वैशाख सुदि दिने उसवाल झाति मं० वानर भार्या रही पुत्र मं० नाकर मं० भाजो म० ना० भार्या हर्षादे पुत्र पघु वनु भोजा भार्या भवलादे एवं कुटुम्ब सहित स्वश्रेयोर्थ सुविधिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्टितं विवंदणीक ग० भ० श्री देवगुप्रसूरिभिः । भारठा ग्रामे। जैन लेख संग्रह प्रथम खंड लेखांक ६६८
४-संवत् १६०३ वर्षे वैशाख सुदि ११ गुरो दिने पूज्य परमपूज्य भट्टारक श्री श्री कक्कसूरिभिः गण २१ सहिता यात्रा सफली कृता श्री कवलगच्छे लि० पं० शिवसुन्दर मुनिना ।। श्रीरस्तु॥
जैन लेख संग्रह प्रथम खंड लेखांक ७१७ ५-संवत् १५१२ वर्षे माह सुदि ५ सोमे वाडिज वास्तव्य भावसार जयसिंह भार्या फाली पुत्र पोचा भार्या जासी पुत्र लीबा लखण लाहू उमालु पोचाकेन । श्री सुविधिनाथ विंबं कारापितं श्रीविवंदणीक गच्छे श्रीसिद्धाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्रीसिद्धसूरिमिः ।
बाबू पू० लेखांक १६५२ ६-संवत् १५२४ वर्षे वैसाख सुदि ३ विद्यापुर वासि श्री श्रीमालि ज्ञा० म० लषमीधर भार्या जासू पुत्र मं० जूठाकेन भार्या डोरू द्वि जसमादे प्रमु० पुत्रादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयो) श्रीधर्मनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं । श्री विवदनीय गच्छे श्रीकक्कसूरिभिः ।
बाबू० पू० लेखांक १७२७ ___ ७-सं० १५१२ वर्षे मार्म (र्ग) बदि २ बुधे वाड़िजवास्तव्य भा० मूलू भार्या धनी पुत्र गोयद पेथा गोयद भार्या हूली पेथा माता नाथी सकलकुटुम्बसहितेन स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथ विंबं कारितं श्रीद्विवंदनीकगच्छे वृद्रशाखायां भ० श्रीकक्कसूरिभिः । (:) प्रतिष्ठितं ।। श्रीरस्तु ।।
वि०३० सं० २७४ -सं० १५१७ वर्षे वैशाष (ख ) सुदि ३ सोमे उ (ओ) सवाल ज्ञातीय लघुसंतानीय श्रे० वीघा भार्या बोझलदे पुत्र (०) नादा भार्या... भोजायुतेन भ्रातृ सादानिम (मि)त्तं श्रीपार्श्वनाथ बिंबं कारापितं विवंदणी ( नि ) कगच्छे भ० श्रीककसूरिभिः प्रतिष्टि (ष्ठि) तं ॥
वि० ध० सं० ३१२ {--संवत् १५२२:वर्षे पौष सुदि १३ सोमे प्राग्वटज्ञातीय श्रेष्ठि धना भार्या मेचू पुत्र वाछाकेन भार्या साधू पुत्र जीवराज सहितेन स्वश्रेयोऽथ श्रीवासुपूज्य बिंबं कारितं द्विवंदनीकगच्छे भट्टारक श्रीककसूरिभिः प्रतिष्टितं झालोडा ग्रामे ।।
जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह भाग दूसरा लेखांक ४६२ १०-सं० १५५२ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनौ श्रोसवाल ज्ञातौ मं० दामा भार्या रंगी सुत थावरकेन उपकेशगच्छाचार्यों द्वारा मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा
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