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________________ आचार्य देवगुप्तसूरि का जीवन ] [ ओसवाल सं० १४११-१४३३ " करमण ने १-छागाणी के श्रीश्रीमाल जाति के शाह सुरजण ने नेमिनाथ भ० की प्रतिष्ठा करवाई १०-नाणापुर के सोडियाणी , सारंग ने ११-ब्राह्मणपुर के सालु सज्जन ने शान्तिनाथ १२-कुकडग्राम के सुघड़ डाबर ने १३-राजपुर के सटेवरा छाजू ने मल्लिनाथ १४-मंगलपुर के बोहरा जोधा ने १५-मुडस्थल के कठारी ॐकार ने आदीश्वर १६-जाबलीपुर के जालेचा उदा ने १७-जुजारी के मोरवाल अर्जुन ने १८-पादवाडी के कंकरिया भोपाल ने म० महावीर १६-खीवसर के चाकला महराज ने २०-मुग्धपुर के राखंचा महीपाल ने २१-अजयगढ़ के कुम्मट हरपाल ने विमलनाथ २२-वीरपुर के कनोजिया नांनग ने सुमतिनाथ २३-चन्द्रावती के कल्याणी नारायण ने आदिनाथ २४-टेलिग्राम के मंत्री नरशी ने २५-नंदपुर के जंघड़ा कोला ने शान्तिनाथ २६-दशपुर के समदड़िया , २७-उज्जैन के प्रावट काना ने २८-महादुर्ग के , करत्था ने भ० पार्श्वनाथ २६-नारायणगढ़के , राणा ने ३०-ओनन्दपुर के , राणांक ने ३१--सोपारपट्टणके रामा ने ३२-मरोंचनगर के चुड़ा ने म० महावीर ३३-करणावती के श्रीमाल आदू ने ३४-वडप्रद्र के ओटाने ३५-खस्मात के आखा ने प्राचार्यश्री के २२ वर्षों के शासन में तीर्थों के संघादि शुभकार्य १-उपकेशपुर गुलेच्छा जाति के शाह मोकल ने शत्रुञ्जय का संघ निकाला २- पद्मावती सुचंति मैकरण ने ३-भरोंच श्रेष्टि मोकम ने ४-सोपार देसरड़ा माला ने ५-खम्भात कुम्मट राजसी ने ६-उज्जैन खेतसी ने ७-माण्डव नोलखा सावंतसी ने ८-पाल्ली के मुगेड़ा मारू ने सूरीश्वरजी के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ १४०४ Jain Education Interacal For Private & Personal Use Only डिडू . www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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