SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वि० सं० ३१० - ३३६ वर्ष ] ९ ८- कोरंटपुर से - शिवपुरी से १० - नारदपुरी से ११ - देसलपुर से प्राग्वट १२ - साघाटनगरसे चिंचट० प्राग्वट वंशीय पोकर प्राग्वट वंशीय हापा श्रेष्ट मंत्री 2 २ ७६२ Jain Education International यशोदेव माथुरा देपाल नागदेव शाखला [ भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ने शत्रु जय का संघ निकाला ने ने चंति ० के श्रेष्टि गो० 19 ने पुखा हापा "" 29 21 19 " १३ - चित्रकोट से चोरलिया १४ - उज्जैनगरीसे श्रीपाल १५ - कोलापुर से क्षत्री वीर वीर ने " " १६ - राजपुर का चरड़-नारायण युद्ध में काम श्राया उसकी स्त्री सती हुई १७ -- चोपउनगर का सुचंती मंत्री गहलड़ा युद्ध में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई १८- - नारदपुरी का राव माथुर संग्राम में काम आया उसकी स्त्री सती हुई १९ - मादड़ी का श्रष्टि शार्दुल युद्ध में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई २०- खटकुम्प नगर का मंत्री भारमल युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई २१ -- नागपुर का अदित्य नाग रामदेव युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई २२ - डमरेल नगर का कोष्टि गणपत युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई २३ - कीराट कुम्प का सुचेती सपरथ संग्राम में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई २४ - पाल्हिका नगरी का बाप्य नाग मंत्री धंधल युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई मंत्री महकरण युद्ध में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई २५ - चित्रकोट का भाद्र गौ० २६ - धोलागढ़ का बलाह गौ मंत्री रघुवीर युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई २७ - उपकेशपुर का श्रेष्ठ हाना ने सं० ३०२ के दुकाल में शत्रुकार दिया 3 २८ - पद्मावती के प्राग्वट मुम्माने दुकाल में एक बड़ा तलाव खुदाया २९ - चन्द्रावती के भाद्र गौ० शालाखा ने सं ० ३०२ दुकाल में शत्रुकार खोल दिया 35 महावीर " 15 " For Private & Personal Use Only "" 77 "" 19 "" ३० - विसर नगर का श्रष्टव रुघनाथ ने दुकाल में शत्रुकार खोल दिया ३१ - शंखपुर का कुमट गौत्री दोला ने दुकाल में शत्रु कार दिया - ३२- माडव्यपुर का डिडू गौ० मंत्री धरण ने युद्ध में वीरता से विजय की जिसको १२ प्राम इनाम में मिले प्राचार्य श्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्टाएँ १ - उन्निनगरी के श्रदित्यनाग करमण ने पार्श्व मन्दिर प्रतिष्टा २ - रूणावती कजल ने ३ - जेगालुपुर ४ - उपकेशपुर के बाप्पनाग० कल्हण ने ५- नारदपुरी के चोरलिया० 97 39 22 :) 11 55 19 39 19 "" 27 " " 19 "" [ सूरीश्वरजी के शाशन में मन्दिरों की प्रतिष्टाएँ www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy