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वि० सं० ५२०-५५८ ]
[ भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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उदयान्तिम युगप्रधान २३-यंत्रम् सूरि नामानि गृह वास । व्रत पर्यायः युग प्रधान काल सर्वायुः दुर्बलिका पुष्यमित्र अरह मित्र वैशाख सत्कीर्ति थावर रहसुत जय मंगल सिद्धार्थ ईशान स्थमित्र भरणिमित्र दृढ़ मित्र संगत मित्र श्रीधर मागध अमर रेवति मित्र कीर्ति मित्र सिंह मित्र फल्गु मित्र कल्याण मित्र देव मित्र दुप्पसह सूरि
२० १२० भी है, २ ४५ भी है, 3 १० भी है, ४ २० भी है, ५२९ भी है, ६ ६७ भी है, * ८१ भी है, ८ ४० भी है, ९ ५६ भी हैं, १० ६९ भी है।
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[युग प्रधान आचार्यों का समय
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