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वि० सं० ४८० – ५२० वर्षे ]
६ - देवपट्टन
सेलुंगगोत्री
७ - श्राघाट नगर से श्रेष्टिगौत्री
से बालनाग०
८-दशपुर
९ - चन्देरी
१० -हासारी
११ - वीरपुर
१२ - कीटकूप से
१३ - सोपारपट्टन से
१४ - मथुरा
से
१५-सजनपुर
१६ - गगनपुर
१७ - सोनपुरा
१८ - उपकेशपुर
१९ - हर्षपुर
२० - क्षत्रीपुर
से बलादगौ० से सुचंती गौ
से
से
से
शाह
शाह
शाद
से
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शाह
शाह
मोरक्ष गौ० शाह
प्राग्वट वंशी
प्राग्वट वंशी
श्रीमाल वंशी शाह
से भाद्र गौत्रीय शाह
कुमट गौ० शाह
सुचंती गौ० शाह
श्रीश्रीमाल गौ० शाह
शाह
शाह
१ - शाकम्भरी नगरी के डिङ्गौत्री २ - हंसावली नगरी के बाप्पनाग० १३- पदमावती नगरी के श्रेष्टि गौ० ४ - रूपनेर के आदित्यनाग गौ० ५ - हरनाई के चरड गौत्रीय ६- घोलापुर के लुंग गोत्रीय
७ - चन्द्रपुर के बाप्पनाग गौ०
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मंत्री कानड़
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धरमण ने
फूवा ने
शाह खुमाण
राजसी
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लाखण ने
भीमदेव ने
पूर्ण ने
मुकुन्द ने
नागदेव ने
खेतसी ने
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
श्री शत्रुंजय का संघ निकाला
सहरण ने
गोकल ने
खीमसी ने
नाथा ने
नारायणने
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सूरिजी के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ
गोपाल के
शांखला के
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" त्रिभुवन के
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लाला युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई
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का कुलचन्द्रगौत्री मंत्री
का श्रेष्ठि गौत्री
का
मल्ल गौत्री
शाह राधो
२१- राजपुर २२ -- चन्द्रावती का प्राग्वट वंशी २३ – उपकेशपुर का बलाह गोत्री २४ - नारदपुरी का प्राग्वटवंशी शाह जुजार २५- शिवगढ़ का श्रेष्ठ गौत्री सलखण २६-नागपुर का अदित्य नाग--मंत्री दूधा की स्त्री रेवती ने तलाब खुदाया २७ - विजयपुर का सुचंति शाह वीरम की विधवा पुत्री ने तलाब खुदाया
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इत्यादि जनोपयोगी कार्यों में जैन श्रावकों ने लाखों करोड़ों रूपये खर्च कर देश सेवा की जिनका उपकार कभी भूला नहीं जा सकता है ।
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श्राचार्य श्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा एं
शाह रूधा के
बनाये
मन्दिर की प्रतिष्ठा
माल्ला के
महावीर
खेमा के
देश के
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पार्श्व
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