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वि० सं० २१८-२३५ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
महोत्सव में तीन लक्ष द्रव्य व्यय किया सात यज्ञ ( स्वामिवात्सल्य ) कर पुरुषों को कडा कंडी और बहनों को सोने के चूड़ा की लेन दी । अहा ह कैसे पुरुष इस पृथ्वी पर हो गये हैं ?
७-स्तम्भनपुर से प्राग्वट रांण में श्री शत्रुजय का संघ निकाला पांव लक्ष द्रव्य व्यय किया।
८- अाघाट नगर से वाप्प नाग गौत्रीय खेमा ने श्री शत्रुञ्जय का संघ निकाला इस संघ में पट्टावलीकर चौदह हस्ती होना लिखा है शाह खेमा ने सात लक्ष द्रव्य व्यय किया।
९-हसावली नगरी के सुंचंतिगोत्रीय शाह नारायण ने श्री सम्मेतशिखरजी का संघ निकाला इस संघ में चौबीस हस्ती १२४ देरासर होना लिखा है शाह खेमा ने सात लक्ष द्रव्य व्यय किया ।
१०-मथुरा नगरी से कर्णाट गौत्रीय शाह कुंभा ने श्री शत्रुञ्जय तीर्थ का संघ निकाला जिसमें आपने स्वाधर्मी भाइयों को सोना की कण्डियों की लेने दी तीन यज्ञ किये।
इनके अलावा भी कई प्रान्तों से सूरिजी एवं आप के शिष्यों के उपदेश से कई महानुभावों ने संघ निकाल कर तीर्थों की यात्रा की उस समय तीर्थों का संघ निकालना और साधर्मी भाइयों को पेहरामणि जितनी अधिक देना उतना ही अधिक महत्व का कार्य समझा जाता था वह जमाना ही ऐसा था कि उन लोगों के पुन्य से आकर्षित हुई लक्ष्मी उन पुन्यशालियों के घर में दासी होकर स्थिर रहती थी--
आचार्य श्री ने कई बादियों के साथ राज सभाओं में शास्त्रार्थ कर जैन धर्म की विजय विजयंति पताकाएं फहराई थी तब ही तो उस जमाने में जैनधर्म उन्नति के उच्चे शिखर पर पहुँचगया था जहां देखों जैन धर्म का ही लाहो माना जाता था वेदक धर्म तो अन्तिम श्वास लेता था
प्राचार्य यक्षदेव मूरि के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं १-उँकार नगर के लघुश्रेष्टि माथुर के बनाये महावीर मन्दिर की प्रतिष्ठा कराई २.-भाकोड़ी ग्राम के सुचंती माला के , पार्श्वनाथ , , ३-श्रानन्दपुर के बाप्पनाग धना के " ,
" " ४-भवानी प्राम के चरड गौ• शंभु के , महावीर ५-डावगग्राम के मल गो० शाकला के , ६-इक्षुवाड़ी के लुग गौत्रीय रोरा के
-पीथावाड़ी के भाद्र गौत्र दोला के ८-गिरवरपुर के चावट गौ० कोका के , शान्तिनाथ ९-पालिकापुर के कर्णाट गौ० जेकरण के , महावीर १०-खटवूपनगर के कुमट गौ० नारा के , ११-हर्षपुर के चरड़ गौ० पोमा के १२-दान्तिपुर के बाप्पनाग भेकरण के , आदीश्वर , १३--जंगाल के श्रेष्टीगोत्रीय जोगा के , पाश्वनाथ , १४-धौलपुर के भूरि गौत्रीय देदा के
१५-धरणीग्राम के चिंचट गौत्रीय माल्ला के , महावीर , , Jain Educu Oternational
सूरिजी के शासन में संघ
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