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आमराज को एक रानी का संतान उप केश वंश में राज कोठारी जाति रामा आम और बाप भट्टि सूरिका जी शत्रुंजय का शिलालेख प्राचार्य हरिभद्रसूरि १२१८
१२१७
चित्तोड़ का भट्ट हरिभद्र
जैन मन्दिर में प्रभु का उपहास साध्वी की एक गाथा
पुनः मन्दिर में देव स्तुति
जिनदत्त सूरि का उपदेश भट्ट की दीक्षा ज्ञानाभ्यास और सूरिपद
हंस परमहंस की जैन दीक्षा
माता का उपालम्ब
सिद्ध की दीक्षा ज्ञान बौद्ध ग्रन्थों का अभ्यासार्थं भाँति और बौद्ध दीक्षा गार्षिके पास हलित विस्तरा पुनः जैन दीक्षा कुवलयमाला कथा आचार्य महेन्द्रसूरि सर्वदेव का द्रव्य शोभन की दीक्षा मुनि शोभन का अथाह ज्ञान पुनः धारानगरी में धनपाल को बोध भोज के साथ धनपाल शिवमन्दिर में
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पं० धनपाल की युक्तियों यज्ञार्थ एकत्र किये पशु
पुनः धनपाल की युक्ति धनपाल की तिलकमंजरी कथा राजा की मांग अस्वीकार - अग्नि में
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धनपाल का चला जाना
भरोंच के पण्डित का धारा में आना राज सभा के पण्डित असमरथ राजा ने धनपाल को बुलाया - विजय आचार्य चा
बोद्ध शास्त्रों का अम्बासार्थं
हंस की मृत्यु परमहंस भागकर राजा सूरपाल के शरण बोद्धों के साथ शास्त्रार्थं में विजय परमहंस हरिभद्रसूरि के पास हरिभद्र सूरपाल की सभा में बोद्धों के साथ शास्त्रार्थ में परास्त कार्पासिक का ग्रन्थ प्रचार चौदह सौ चालीस ग्रन्थ माहनिशीथ का उद्धार कथावली का उल्लेख मतभेद हरिभद्रसूरि का स्वर्गवास
सूराचार्य की तैयारी धारा का आमंत्रण हस्ती पर सवार हो धारा गया भोज का सम्मुख शानदार स्वागत धारा के सब पण्डितों को परास्त आचार्य सिद्धर्षिका जीवन १२३१ सूराचार्य का प्रकण्ड प्रभाव तंबोली के वेष में पुनः पाटण
रात्री में घर पर देरी से आना
० अभयदेवसूर
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द्रोणाचार्य के पास दीक्षा सुराचार्य नाम राजाभोज एकगाथा पाटण राजा को भेजी पाटण का राजाभीम ने सूराचार्य से एक गाथा बनाकर धारा नगरी भेजी राजा भोज का मान गल गया सूराचार्य शिष्यों को पढ़ाने में रजोहरण की एक दंडी हमेशा तोड़ डालना कोहा की दंडी बनाने का विचार,
श्री संघ की समक्ष बनराज की मर्यादा राजा ने भूमि दो पु० मकान बनाया जिनेश्वर पाटण में चतुर्मास किया वसतिवास नाम का नया मत नि० प्रभाविक चरित्र का प्रमाण दर्शन सप्ताति का प्रमाण दुकाल से आगमों की परिस्थत देवी के आदेश से नौ अंग की टीका
सूरिजी के शरीर में बीमारी घरेणन्द्र का आगमन स्तम्भन तीर्थ की स्थापना
आचार्य वादीदेवम्वरि १२५४ मधुमति प्राग्वट वीर नाग का पुत्र रामचन्द्र वहां से भरोंच नगर में आये रामचन्द्र एक सेठ के कोलसे को सुवर्ण देखा सेठ ने एक सौ दीनार बक्सीस रामचन्द्र की दीक्षा देवमुनि नाम सरस्वती का वरदान
गुरु का उपालम्ब ग्यांग में कहा धारा के वादियों को पराजय पण्डितों को जीत कर मान करना
सूरिपद देवसूरि नाम
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धारा नगरी में लक्ष्मीपति सेठ दो ब्राह्मणों को दीक्षा की भावना ८४ चेत्योंकाधिपति वर्द्धमानसूरि क्रियोद्धार-दो शिष्य जिनेश्वर सूरि बुद्धिसागर सूरि गुरु आज्ञा से पाटण पधारे घरघर में जाचने पर भी स्थान नहीं सोमेश्वर पुरोहित ने अपना मकान दिया चैवासियों के आदमी ने निकलने का पुरोहित राजा दुर्लभ की राज सभा में चैत्यवासी भी राजा के पास आये
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बादी के गूढ़ श्लोक का अर्थ देवसूरि ने बतलाया अनेक वादियों को परास्त किये बादी देवसूरि नाम करण दिगम्बर कुमुद्रचन्द्र को परास्त आचार्य हेमचन्द्रसूरि १२६०
धुंका के मोढ़ चाच का पुत्र चंगदेव की दीक्षा सोमचन्द्र नाम सरस्वती के लिये काश्मीर की ओर नेमिचैत्य में ठहरकर ध्यान सामने आकर देवी ने वरदान दिया सूरिपद और हेमचन्द्र सूरि नाम सिद्धराजा की भेट और भक्त राजा की विजय में आशीर्वाद सिद्धहेम व्याकरण का निर्माण पण्डवों का शनंजय पर मोक्ष जाना ब्राह्मणों की ईर्षाग्नि शान्त
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