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सूरिजी का ठीक समाधान ११३० सूरिजी के शासन में
गच्छ समुदायों के पृथक् होना कजलादि • जन को दीक्षा
" मुमुक्षओं की दीक्षाएं जातियाँ बनने के कारण १५ वर्ष गुरुकुल वाद सूरिपद , मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं
संगठन तुटने से पतन बैत्यवास से हानी लाभ , तीर्थ यात्रार्थ संघ
महाजन संघ रूपी कल्पवृक्ष ११७. चन्द्रावती में संघ सभा
, वे तलाब बनाना
महाजन संध की नींव डालना सूरिजी का सचोट उपदेश ।, वीर वीरांगणाएं
वृक्ष और उसकी शाखाएं वृद्धकिसान और सिंह का उदा. । कुल वर्ण-बंश गोत्र-जाति या ११५५ । सेठिया जाति भी एक शाखा है
मरूधर में श्रीमाल नगर सूरिजी के उपदेश का प्रभाव ११३६
दो प्रकार का काल उ.भ. विहार क्षेत्र की विशालता
जैनधर्म की नींव कब-क्यों कर्म भूमि अकर्म-भूमि कन्याकुब्ज का विहार और म. ऋषभदेव द्वारा चार कुल
आठवीं शताब्दी का भीनमाल आचार्य बप्पमट्टिसूरि की भेट भरत राजा द्वारा चार वेदों का ११५७
आचार्य उदयप्रभसूरि द्वारा जैन
काशी की करवत सूरिजी का नगर प्रवेश का ठाठ वृद्ध श्रावकों द्वारा प्रचार दोनों भाचार्यों में वात्सल्यता महाणाँ का चिन्ह जनौउ
श्रीमाल के २४ ब्राह्मण भी चैत्यवास की चर्चा
तीर्थकरों का शासन विच्छेद उदय प्रभसूरि को भेंट और
११४० बप्पभटिसूरि का समर्थन ब्राह्मणों की स्वार्थ अन्धता
सद् उपदेश देना। दोनों आचार्यों के आपस में संसार का पतन-अव्यवस्था
सूरिजी और ब्राह्मणों का संवाद ककसूरि का पूर्व में बिहार
चार वर्षों की व्यवस्था नाम-काम ब्राह्मणों ने जैनधर्म स्वीकार ॥ लक्षणावती में चतुर्मास
वर्गों के लिये ब्राह्मणों की कल्पना शेष ब्राह्मणों का ईर्षा पाटलीपुत्र में पदार्पण पुनः ब्राह्मणों की हुकमत
सूरिजी का चमत्कार कलिंग के तीर्थ की यात्राथं ११४३ वेदों के नाम बदल देना
अन्य लोग भी जैनधर्म में महाराष्ट्र प्रान्त में विहार शूद्रों पर अत्याचार
महाजनसंघ की उदारता पुनः कांकण-सोपार में चतु० वंशो की उत्पत्ति
सोमदेव के किये धर्म कार्य शत्रु जप की यात्रा कच्छ में बिहार गोत्रों की उत्पति
सोमदेव को राजा से सेठ पदवी श्रेष्टि लाइक का पुत्र देवशी कोटी द्रव्य | जैन शास्त्रों में गोत्रों का वर्णन
सं. ११.३ में बेटी व्यवहार बन्द छमासकी विवाहित त्याग दीक्षा ११४४ जातियों की उत्पतिस्मृति
तोडना जाने पर जोड़ना नहीं ११७५ पंजाब में दो चतुमास भ० महावीर का शासन
बाबाजी के चनों का दृष्टान्स मथुरा में चतुर्मास
उच्च नीच के भेदों को मिटाया सेठिया जातिके किये हुए धार्मिक कार्य करमण के बनाये मन्दिर प्र० वर्ण गोत्र जाति का बन्धन
उस समय के धार्मिक कार्य सोपार में यक्ष का उपद्रव ११४५ | वीर भक्त राजा श्रेणिक-बेमराजा कुछ समय पहला का गोडबाड़ सर्वधर्म वालों के उपाय निःसफल
हिंसा पर अंकुश अहिंसा का प्र. वर्तमान के नोकरी करनेवालों ककसरि ने शान्ति करवा चारों वर्ण जैन धर्म पालते थे
हृदय की संकीर्णता ११ राजा जैन धर्म स्वीकार किया स्वयंप्रभसूरि मरूधर में
जनजातियों केसाथबेटी व्यवहार तुटा राना का शत्रु जय संघ ११४७ रत्नप्रभसूरि उपकेशपुर में
जाने से दोनों पक्ष को हानी पुनः जोड़ने विहार में सिकारी सवार
महाजन संघ की स्थापना ११६४ | की जरूरत समाज के पतन के कारण भहिंसा का उपदेश जैन बने उस समय का मरूधर
गुजरात को जैनजातियां का पत्तम माडव्यपुर राव महावली ११४९ भारत में जैन राजाओं का राज भारत के अद्भुत चमत्कार रावनी की वंशावली ११५, | पुनः जैनों में उच्च नीच के भेद भाव वर्तमान के नये २ भाविष्कार
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