________________
९२७
भद्रबाहु की दशा नियुक्तिये २५५ म्यापारी द्वारा भेणिक का पत्ता दश भाइयों को पक्ष में गोदास मुनि से अलग गच्छ
श्रेणिक मगध का राजा पिता को पिंजरा में भद्रबाहु का स्वर्गवास राजा के और भी राणियां
श्रेणिक का मृत्यु दसरे भद्रबाहु एक बौदधर्म को क्षेमारणी
'चम्पा में राजधानी प्रतिष्टि नपुर नगर चेलना राणी जैन धर्मी थी
हार-हस्ती का झगड़ा बराहमिहिर व भद्र• की दीक्षा राजा राणी के धर्मवाद
चेटक राजा के पक्ष में दोनो विद्वान-प्रकृति पृथक जैनमुनि के मकान में वैश्या
काशी कोशल के १८ राजा मद्रबाहुको सूरिपद मुनि ने नन्धि का प्रयोग
कूणिक को दो इन्द्रों ने मदद दी वराह मिहर का द्वेष जैनधर्म की प्रभावना
दो दिनों मे १८०००००० ज्योतिष विष के अन्य बौद्ध भिक्षुओं को भोजन
हस्ती जल मरा हारदेव लेगया वराहमिहर की कल्पना राइता द्वारा पन्हीयां-पेट में
चहल्ल कु. दीक्षा लेली राज के पुत्र का निमित श्रेणिक और अनाथी मुनि
विशाला का भंग मजारी द्वारा राजपुत्र का मृत्यु भ० महावीर का आगमन
वर्णनाग नतुआ मद्रबाहु की प्रशंसा
राज जैनधर्म स्वीकार ७१८ | उसका बालमित्र बराहमिहर की मृत्यु देवता ने राजा की परिक्षा की
कूणिक कहर जैन था संघको कष्ट देवता ने १८ सर का हार दिया
| उसके बनाया हुआ स्तम्भ उपसर्गहरं स्तोत्र तापसोका संचाना हस्ती
बुद्ध के लिये कूणिक के. भाव दो गाथा भण्डार श्रेणिक द्वारा जैनधर्म का प्रचार राजा उदाइ
७२८ राज प्रकरण २५४ तीर्थ यात्रार्थ संघ
पाटली-पुत्र में राजधानी काशी का राजा अश्वसेन कलिंग की पहाड़ी पर ७२०
| नागदशक सेनापति शिशुनागवंश की उत्पति
मन्दिर और सुवर्णमय मूर्ति दक्षिण तक विजय शिशुनाग राजा का समय
१०८ सोने के कौ का स्वस्तिक भनुराधपुर में मन्दिर शिशुनाग वंश के दस राना अभयकुंवर बैनातट में
दो यक्ष की मूर्तियां पांचवाँ राजा प्रसेनजित २५७ मन्दाराणी का पुत्र था
राजा उदाइ की मृत्यु राजा के १०० पत्र धे नन्दा अभय राजगृह भाये
राजा भनु खु-मुदा पुत्रों को परिक्षा जौहरिया का जेवर
नन्दवंशी राजा ७३. श्रेणिक का विदेशागमन कोतवाल का पेहरा
मन्दवर्धन जैन धर्मी था धन्ना सेठ का मिलाप दीवान को योगी बनाना
इसके लिये प्रमाणिक प्र. ७३॥ श्रेणिक की बुद्धि-चातुर्य राजा और धोबी कावरत न
मंत्री कल्पक भी जैन था धक्षा के नन्दा पुत्रो कुँवा में मुद्रका परीक्षा
पमानन्द दूसरा नंद राजा . पिता पुत्री का सम्वाद अभय कुवर मुख्य प्रधान
वर्ण व्यवस्था तोड़ कर भेणिक सेठ के घर पर अभय कुंवर की दीक्षा
शूद कन्या के साथ विवाह ठ के यहां तेजमतुरी
राजा कूणिक ७२३ महानन्द नौवानंद ७३२ मातट में व्यापारी
कूणिक का गर्भ में आना और राजाओं का समय रेणिक ने सब माल ले लिया पिता के कलेजा का मांस
मोर्य वंश के राजा नन्दा का श्रेणिक से विवाह
२५८ अभय कुमार की बुद्धि से
मंत्री चाणक्य जैन था दाका गर्भधारण करन
कूणिक का जन्म और कईनाम चाणक्य का जन्म सिमित की बीमारी राज करने की तृष्णा
मुनिका भविष्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org