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________________ १३१ काव्यमाला गुच्छक सप्तम् २३२ प्रबन्धावली २३३ श्रात्मानन्द शताब्दी अंक २३४ महावीर विद्यालय रोप्प महोत्सवांक २३५ गच्छमत प्रबन्ध २३६ विमल चरित्र २३७ तपागच्छ श्रमण वृक्ष २३८ नागरी प्रचारणी पत्रिका अंक २३६ शंखस्मृति २४० आसन स्मृति - २४१ पारासर स्मृति २४२ दर्शनसार दिगम्बर २४३ जैनहिषैती भाग ७ वा २४४ डा, फूहार का मत २४५ प्रोफेसर ए, चक्रवर्ति २४६ बौद्ध साधु धेनूसेन का प्रन्थ २४७ जैनीझम (बाबू कृष्णा० ) २४८ मुक्त मुक्तावली २४६ ललित बिस्तरा २५० डा० स्टीवेन्स का मत २५१ डा० भाण्डाकार २५२ मारी मेवाड़ यात्रा २५३ सूरीश्वर और सम्राट २५४ शतपदी भाषान्तर २५५ डा० सर कर्निंग होम २५६ डा० फ्लट साब का मत २५७ जैनसत्यप्रकाश मासिक २५८ जैन साप्ताहिक भावनगर २५६ जैसलमेर का इतिहास २६० मेहताजी का चरित्र २६१ भगवान् पार्श्वनाथ २६२ भ० महावीर - म० बुद्ध २६३ राजपूतांना के जैनवीर - २६४ जैनवीरों का इतिहास २६५ मारवाड़ के सुपुत २६६ मेवाड़ के सुपुत २६७ प्राचीन गुर्जर काव्य संचय २६८ जैन ऐतिहासिक रास माला २६६ जैन प्रन्थावली Jain Education International [ २५ ] २७० नवपद प्रकरण टीका २७१ ऐतिहासिक जैन काव्य २७२ प्रवचन परीक्षा २७३ पंचासक प्रकरण २७४ राज तरंगिणी २७५ त्रिषष्टि सि० पुरुष चरित्र २७६ वस्तुपाल तेजपाल २७७ विमलमंत्री २७८ बप्पभट्टसूरि और श्रमराजा २७६ जैसलमेर ज्ञान भ० सूची २८० पाटण ज्ञान भंडारों का सूची पत्र २८१ बडौदा सेट्रल लाइब्रेरी का सूची पत्र २८२ कुमारपाल चरित्र २८३ सिरोहीराज का इतिहास २८४ उदयपुर राज का इतिहास २८५ पाटण का इतिहास २८६ सिद्धान्त समाचारी २८७ श्रोसवाल जाति का इतिहास २८८ जैनपत्र का रोप्यमहोत्सवांक २८६ जैनगुजर कवियों भाग २६० प्राचीन कलिंग ओर खारवेल २६१ जैनसाहित्य का प्र० इतिहास २६२ प्रगट प्रभाविकपार्श्वनाथ २९३ तीर्थकरों के बोल २६४ जैनसाहित्य संशोधक मासिक २६५ जैनों प्रतापी के पुरुष २६६ साढा चमोतर शाह की ख्यात प्र० १ २६७ प्र० २ २६८ प्र० ३ २६६ प्र० ४ ३६० प्र० ५ " भगवान् पार्श्वनाथ को ऐतिहासिक पुरुष सिद्ध करने को कह पश्चात्य विद्वानों ने अपने २ ग्रन्थों में उल्लेख किये हैं जिसको उत्तर भारत में जैनधर्म नामक पुस्तक में नामोल्लेख किया है पाठकों के जानने के लिये यह लिख दिया जाता है 19 " 33 39 19 For Private & Personal Use Only 99 39 1. "Chandragupta Maurya" by Ho, H. L O. Garrett M. A. L. E, S. 2. Dr. Vincent Smith, www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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