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अंतर मान
मोक्ष परिवार | माता गति | पिता गति |
दीक्षा शेविका
युगान्त भूमि | पर्यायभू
९०
५० लाख क्रो. सा.
य
असंख्याता पाट] दो घड़ी सख्याता पाट एक दो दिवस
१०हजार, क्रो. सा.
१.
८
९०. क्रो० सा.
९० " "
१ कु० कम ५४ सागरोपम
१.
नागकुमार सुदर्शना ईशान
सुप्रभा सिद्धार्थी अर्थसिद्धा अभयंकरा मनोहरा मनोरंभिका
सुप्रभा सनत्कुमार सनस्कमार पाक्रप्रभा
विमलप्रभा पृथ्वी देवदिशा सागरदत्ता सागरदत्ता नागदत्ता
सार्वथा माहेन्द्र विजया
विजयंति नयन्ति अपराजिता देवकुरा
रामती
विशाला अकला । अच्यूत अच्यूत चन्द्रप्रभा
३अ.क. •॥ पल्योपम 01 अक० १... क्रोड वर्ष ५४ लाख वर्ष
माहेन्द्र
-
८३७५० वर्ष
२५०
,
भाठ पाट दो वर्ष चार पाट | तीन वर्ष तीन चार वर्ष
चरम जिन
निहार अदृश्य-चरम चक्षु वाला नहीं देख सकता४-श्वासोश्वास पदमकमल जैसा सुगन्धवाला होता है एवं अतिशय जन्म से तथा १-योजन प्रमाण समवसरण में देव मनुष्य तियच जितने हो सुखपूर्वक समावेश हो सकते हैं २-चारों दिशा में पचबीस २ योजन पूर्वोत्पन्न रोगों की शांति और नया रोग हो नहीं सके ३आपसी वैरभाव उपशान्त हो नया वैर पैदा न हो ४-क्षुद्र जीवों की उत्पत्ति का अभाव । ५ मर की वगैरह बड़े रोग नहीं हो पहले के रोग उपशान्त हो जाते हैं ६-अति वर्षा न हो-अना वृष्टि भी न हो ८-दुष्काल न पड़े ९-स्वचक्री परचक्री का भय न हो १०-प्रभु की योजन गामनी वाणी देव मनुष्य तिर्यच अपनी २ भाषा में समझ सके ११-प्रभु के पीछे सूर्य से भी अधिक तेज वाला भामण्डल प्रकाशमान रहे एवं ११
अतिशय केवल ज्ञान होने से होते हैं। १-प्रमु विहार करे तब पचवीस योजन तक प्रकाश पड़ता धर्मचक्र _Jain Ed.आगे जाले । २-देवकृत चमर तथा स्वयं बीज एवं ढलते रहे।
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