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तीर्थ माला संग्रह
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अन्य जैन तीर्थं रक्षण के प्रभाव से बेरान हो गए हैं, जिनमें मथुरा का देव निर्मित स्तूप भी एक है ।
(१०) सम्मेतशिखर (तीर्थ)
सूत्रोक्त जैन तीर्थों में सम्मेतशिखर ( पारसनाथ हिल) का नाम भी परिगणित है । श्रावश्यक नियुक्तिकार कहते हैं कि ऋषभदेव, वासुपूज्य, नेमिनाथ और वर्द्धमान ( महावीर ) इन चार तीर्थंकरों को छोड़ शेष अवसर्पिणी समा के बीस तीर्थङ्कर सम्मेत शिखर पर निर्वारण हुए थे, इस दशा में सम्मेतशिखर को तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि होने के कारण तीर्थ कहते हैं ।
पन्द्रहवीं शताब्दी में निगम गच्छ के प्रादुर्भावक प्राचार्य इन्द्रनंदी के बनाये हुए निगमों में एक निगम सम्मेत शिखर के वर्णन में लिखा है जिसमें इस तीर्थ का बहुत ही अद्भुत वर्णन किया है । आज से ४० वर्ष पहले ये निगम पोडाय (कच्छ) के भण्डार में से मंगवाकर हमने पढ़े थे ।
ऊपर लिखे सूत्रोक्त दश प्राचीन तीर्थों के अतिरिक्त वैभारगिरि, विपुला चल, कोशला की जीवित स्वामी प्रतिमा अवन्ति की जीवित स्वामी प्रतिमा आदि अनेक प्राचीन पवित्र तीर्थों के उल्लेख सूत्रों के भाष्य आदि में मिलते हैं, परन्तु उन सबका एक निबन्ध में निरूपण करना अशक्य जानकर उन्हें छोड़ देते हैं ।
आचार्य भिक्षु स्मारक ग्रन्थ के सम्पादकों की प्रार्थना को लक्ष्य में लेकर, शारीरिक स्वास्थ्य ठीक न होने की दशा में भी प्राचीन तीर्थों के विषय में कुछ पृष्ठ लिखने का साहस किया है, इस दशा में इस लेख में रही हुई त्रुटियों को पाठक गरण क्षन्तव्य गणेंगे । इस आशा के साथ तोर्थ विषयक लेख यहां पूरा किया जाता है ।
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