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________________ तीर्थ माला संग्रह उसने सोचा कल ऐसी तैयारी के साथ भगवन्त को वन्दन करने जाऊँगा, और ऐसे ठाट से वन्दन करूँगा जैसे ठाट से न पहले किसी ने किया होगा न भविष्य में करेगा । उसने सारे नगर में सूचित करवा दिया कि कल अमुक समय में राजा अपने सर्व परिवार के साथ भगवान महावीर को वन्दन करने जावेंगे, और नागरिकगणों को भी उसका अनुगमन करना होगा । राजकीय कर्मचारीगण उसी समय से नगर की सजावट चतूरंगिनी सेना के सज्ज करने तथा अन्यान्य समयोचित तय्यारियां करने के कामों में जुट गए । नागरिक जन भी अपने-अपने घर हाट सणगारने, रथ, यान तथा पालकियों को सज्ज करने लगे। दूसरे दिन प्रयाण का समय आने के पहले ही सारा नगर ध्वजाओं, तोरणों, पुष्प मालाओं से सुशोभित था, मुख्य मार्गों में जल छिड़काकर फूल बिखेरे गए थे । राजा दशार्णभद्र उसका सम्पूर्ण अन्तःपुर और दास-दासीगण अपने योग्य यानों, वाहनों से भगवान् के वन्दनार्थ रवाना हुए, उनके पीछे नागरिक भो रथों, पालकियों आदि में बैठकर राज कुटुम्ब के पीछे उमड़ पड़े। महावीर की धर्म सभा की तरफ जाते हुए राजा के मन में सगर्व हर्ष था । वह अपने को भगवान महावीर का सर्वोच्च शक्तिशाली भक्त मानता था, ठीक उसी समय स्वर्ग के इन्द्र ने भगवान महावीर के विहार-क्षेत्र को लक्ष्य करके अवधि-ज्ञान का उपयोग किया और देखा कि भगवान् दशार्ण कूट पहाड़ी के निकटस्थ उद्यान में विराजमान हैं, और राजा दशार्ण भद्र अद्वितीय सज-धज के साथ उन्हें वन्दन करने जा रहा है। इन्द्र ने भी इस प्रसंग से लाभ उठाना चाहा, वह अपने ऐरावत हाथी पर आरूढ होकर दिव्य परिवार के साथ क्षण भर में भगवान के पास आ पहुँचा, उसने तीन प्रदक्षिणा देकर दशार्ण कूट पर्वत की एक लंबी-चौड़ी चट्टान पर अपना वाहन ऐरावत हाथी उतारा । दिव्य शक्ति से इन्द्र ने हाथी के अनेक दांतों पर, अनेक-अनेक बावडियां, बावडियां में अनेक-अनेक कमल और कमलों की कणिकाओं पर देव प्रसाद, और उनमें होने वाले बत्तीस पात्र-बद्ध नाटकों के अद्भुत दृश्य For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003209
Book TitleTirth Mala Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherParshwawadi Ahor
Publication Year1973
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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