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तीर्थ माला संग्रह चंद्रपुरी च्यार कोस, चन्द्रप्रभ जिनमि,
जन या चन्दनि चरचउ चउतरुए। पूजउं पगलां फूलि, चन्द्रमाधव हवडा कहि;
प्रथम गुण ठाणीया ए ॥३५।। आवी गंगा पारि कोस नवाणू ए, पुहुता पुखर पाडली ए । पटणु लोक प्रसिद्ध, श्रेणिक कोणिक पुत्र उदायी थापीउं ए ॥३६।। तत्पदे नव नंद कलियुगी कुलहीण, राजा कुलवंत किंकरा ए। तत्पदे चंद्रगुप्त बिंदु सार वली, असोक कुणालह मालवइ ए ।।३७।। तस सुत संप्रति भूप सवालाख चैत्य सवाकोडि बिंब कारवी ए। इणि पुरि श्रावक सीह चारणाइक मुहतउ,
जिणि जिण धर्म जगावीउ ए ।।३।। ढाल धन्यासीपुहता पुखर पाडली, भेटया श्री गुरु हीरो जी। थुभि नमू थिर थापना, नंद पहाडीनइ तीरो जी ॥३६॥ श्रीजिनवर इम उपदिसइ इंद्र सुणउ अम्ह वांण्यो जी। इकउ ए गिरि गिरु अरुइ, शत्रुजा थी जाण्यो जी ।।४०॥ श्री जिनवर इम उपदि से ।।प्रांकणी।। दीठउ हो डूगर दुष हरि, महिमा मेरु समानो जी। संमेता चल समरीइ, जिहां जिन वीस निर्वाणो जी ।।४१॥श्री. सिरिउ सुदर्शण पादुका, थूलभद्र बहिनर सातो जी। अवर अनेक थयां हूपा इहां पुहवई पुरुष विख्यातो जी । ४२ श्री. नयर मझारि दोइ देहरा, खमणा वसही एको जी। बिंब बहु देहरासरि, घरि घरि नमिन विवेको जी ॥४३॥श्री. संघ मिल्यु श्री अ आगरा, पाडलि पुरनउ समेलो जी। वलि मिलिउ संघ मालवी. दूधइं साकर भेल्यो ॥४४॥श्री. आलोची अ आडंबरई, बदरे घाल्या दामो जी। तरल तुरंगम पाखरया, वृषभ वहइ भरठामो जी ।।४५॥श्री. सखर सुखासण पालखी, चतुर चड इंच कडोलो जी। पगि पगि जिनपद पूजतां घनसारादिक घोलो जी ॥४६ । श्री. ॥
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