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तीर्थ माला संग्रह भोड़ भंजन नेमो सरु, तिम जिन भुयरा सुषांण ने जी हो ॥तीर्थ ।। दया धरम नितु सेवतां लहिये परम कल्याण ने जी हो तीर्थ.।। इति रायण पुर स्तवन संपूर्णम्दोहा
सफल तीर्थ यात्रा करी, आव्या घाणे राव ग्राम । सुंदर देहरां पाठ छ, मन पांमे विसराम ॥१॥ डुगर कडणे भेटिइं, शासन नायक वीर । देखी हरख्यो पातमा, भागी मननी भीर ।।२।। दयादान ने तप भला, करता पर उपगार ।
हवे नडु लाइ जाइई, सेंतु जे गिरनार ॥३॥ ढाल:
___ महा विदेह खेत्र सुहांमणो ।ए देशी।। हवे नडुलाई जाइइं, सेतुजो गिरनार,
यात्राकरण ने काज मेरे लाल । सेवजोने जादवो, भेटतां, शिवसुख राज मेरे लाल ।
॥१॥ए तीरथ सुहांमणाँ उलट अधिक आनंद मेरे लाल, ए तीरथ सुहांमणां ॥ए प्रकरणी।। जसो भद्र सुरि लाविया, गयरणां गण विख्यात मेरे लाल । श्री आदेसर भेटिये, अलवेलो जगन्नाथ मेरे लाल ॥२। एती. चैत्या वली तिहां सोभती, स्वर्ग भुवन इग्यार मेरे लाल । धजा दंड लह के धणा, सुदर पडिमा सफार मेरे लाल ॥३॥एती. शांति करण श्री शांतिजी, नेमीश्वर ब्रह्मचारि मेरे लाल । आदेय नाम गुणायरु, पास जिनंद सुखकार मेरे लाल ॥४॥एती. उत्तर दक्षिण दिस डूंगरी, सेत्रुजो गिरनार मेरे लाल । देखतां जनम सफल होवे हूंतो वंदना करुं क्रोड मेरे लाल ॥५॥एती संप्रति रायनां देहरां, गांमो गांम विशाल मेरे लाल । कहे दयानंद पद सेवता, नीत होवे मंगल भाल मेरे लाल ॥६॥एती.
इति नाडोलाइ तीरथ स्तवन समाप्तं ।
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