SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्राट-परिचय। अकबरका विशेष परिचय प्राप्त करनेके लिए अब उसके अन्यान्य गुण-अवगुणोंका विचार किया जायगा। यद्यपि अकबर मुसलमान कुलमें जन्मा था तथापि उसके हृदयमें दयाके भाव अधिक थे। दीन-दुःखियोंकी सेवा करना और उनके दुःखोंको दूर करनेका प्रयत्न करना वह अपना कर्तव्य समझता था। अपनी प्रनाको-चाहे वह हिन्दु हो या मुसलमान-दुःख देना, सताना वह पाप समझता था। प्रनाके प्रति राजाके क्या कर्तव्य हैं सो वह भली प्रकार जानता था । मयूर जैसे पाँखोंसे ही शोमता है वैसे ही राजा भी प्रजाहीसे सुशोभित होता है । अर्थात् प्रजाकी शोभाहीसे राजाकी शोभा रहती है । अकबर इस बातको भली प्रकार जानता था। इसी लिए वह ऐसे काम नहीं करता था जिनसे प्रनाको दुःख हो । वह प्रायः ऐसे ही कार्य करता था जिनसे प्रजा प्रसन्न और सुखी रहती थी। अर्थात् जहाँ जैसी आवश्यकता देखता वहाँ वैसे कार्य करा देता था। अकबरने कई कार्य कराये थे। उन्हीं से फतेहपुर सीकरीमें बँधाया हुआ तालाव भी एक है। वहाँ पानीकी तंगी थी। उसे दूर करने हीके लिए वह तालाब बंधवाया गया था । वह छ माइल लंबा और तीन माइल चौड़ा था । अब भी उसके चिन्ह मौजूद हैं जो अकबर की दयालुताकी साक्षी दे रहे है । श्रीदेव विमलगणिने अपने 'हीरसौभाग्य ' काव्यमें इस तालाबका उल्लेख किया है और उसका 'डाबर ' के नामसे परिचय दिया है । * * स श्रीकरीपुरमवासयदात्मशिल्पि सार्थन डाबरसरःसविधे धरेशः । इन्द्रानुजात इव पुण्यजनेश्वरेण श्रीद्वारकां जलधिगाधवसंनिधाने ॥ ६३ ॥ ( १० सर्ग ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy