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________________ सूरीश्वर और सम्राट् । सन् १९३० में ४८ वर्षकी आयुमें अपनी तूफानी जिन्दगीको पूरा कर विदा हो गया था। उसके बाद उसका पुत्र हुमायु २२ वर्षकी उम्रमें दिल्लीकी गद्दी पर बैठा । बिचारी भारतीय प्रजाके दुर्भाग्यसे अब तक भारतमें शान्तिका राज्य स्थापन करनेवाला एक भी राजा नहीं आया। यह सत्य है कि जो राजा राज्य-मदमें मत्त हो कर प्रजाके प्रति उनका जो धर्म होता है उसे भूल जाते हैं अथवा उस धर्मको समझते ही नहीं हैं वे प्रजाको सुख नहीं पहुंचा सकते हैं । हुमायूँ बाबरसे भी दो तिल ज्यादा था । वास्तविक बात तो यह थी कि, उसमें राजाके गुण ही नहीं थे। अफीमके व्यसनने उसको सर्वथा नष्ट कर दिया था। उसकी अयोग्यताके कारण ही शेरशाहने ई० स० १५३९ में उसको चौसा और कन्नौजकी लड़ाई हराया था और आप गद्दीका मालिक बन गया था। इस तरह हुमायु जब पदभ्रष्ट हुआ तब वह पश्चिमकी तरफ भाग गया । और अन्तमें भाईसे आश्रय मिलनेकी आशासे काबुलमें अपने भाई कामरानके पास गया । परन्तु वहाँ भी उसकी इच्छा पूर्ण न हुई । कामरानने उसकी सहायता नहीं की। इससे वह अपने मुट्ठी भर साथियोंको ले कर सिंधके सहरामें भटकने लगा। संसारमें किसके दिन हमेशा एकसे रहे हैं ? सुखके बाद दुःख और दुःखके बाद सुख इस 'अरघट्टघटी' न्यायके चक्करसे संसारका कौनसा मनुष्य बचा है ? मनुष्य यदि बारिकीसे इस नियमका अवलोकन करे तो संसारमें इतनी अनीति, इतना अन्याय, इतना अधर्म कभी भी न हो। ऐसी खराब हालतमें भी हुमायूँ एक तेरह चौदह बरसकी लड़कीके मोहमें पड़ा था। यह वही लड़की थी कि, जो हुमायुके छोटे भाई हिंडालके शिक्षक शेखअली अकबर जामीकी पुत्री थी और जिसका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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