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________________ प्रकरण तीसरा। सम्राट्-परिचय। थम प्रकरणमें भारतीय प्रजा पर जुल्म करनेवाले कई विदेशी राजाओंका नामोल्लेख हुआ है। उनमें पाठक बाबर और उसके पुत्र हुमायुके नाम भी र पढ़ चुके हैं । बाबरका संबंध हिन्दुस्थानके साथ ई० स० १५०४ में हुआ था। उस समय उसकी आयु बाईस बरसकी थी; उस समय वह काबुलका अमीर हो गया था । यहाँ इस बातका पाठकोंको स्मरण करा देना आवश्यक है कि, यह बाबर उसी तैमूरलंगका वंशज था जिसने भारतमें आ कर लाखों भारतवासियोंको कल किया था और जिसने सतियोंका सतीत्व नष्ट करनेमें कुछ भी कमी नहीं की थी। प्रथम प्रकरणमें यह भी उल्लेख हो चुका है कि, बाबरके आने बाद भारतमें शान्ति नहीं हुई । इसी बाबरने पानीपतके मैदानमें ई० स० १५२६ के अप्रे. लकी २१ वीं तारीखके दिन इब्राहीमलोदीको मारा था। तत्प श्वात ई० स० १५२७ के मार्चकी १६ वीं तारीखको चितोड़के राणा संग्रामसिंहके लश्करको 'कानवा' (भरतपुर) के मैदानमें परास्त किया था। बाबरके संबंधमें विशेष कुछ न लिख कर केवल इतना ही लिख देना काफी है कि, संसारकी सतहसे जैसे हजारों राजा अपयशकी गठड़ियाँ बाँध कर विदा हो गये हैं वैसे ही बाबर मी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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