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________________ ३८८ - Anuman सूरीश्वर और सम्राट्। विजयदेवरि और विजयसेनसूरिके-जो वहाँ गुजरातमें हैंहालकी खबरदारी करना और भानुचंद्र तथा सिद्धिचंद्र जब वहाँ आ पहुँचे तब उनकी सार सँग लका, वे जो कुछ काम कहें उसे पूरा कर देना, कि जिससे वे जीत करनेवाले राज्यको हमेशा (कायम) रखनेकी दुआ करनेमें दत्तचित्त रहे । और 'ऊना' परगने में एक बाड़ी है। उसमें उन्होंने अपने गुरु हीरजी (हीरविजयसूरि) की चरणपादुका स्थापित की है। उसे पुराने रिवाजके अनुसार 'कर ' आदिसे मुक्त समझ, उसके संबंधों कोई विन्न नहीं डालना । लिखा (गया) ता. १४ शहेरीवर महीना, सन् इलाही ५५. पेटाका खुलासा। फरवरदीन महीना, वे दिन कि, जिनमें सूर्य एक राशीसे दूसरी राशीमें जाता है । ईदके दिन, मेहर के दिन, प्रत्येक महीनेके रविवार, वे दिन कि जो सूफियानाके दो दिनोंके बीचमें आते हैं, रजब महीनेका सोमवार; अकबर बादशाहके जन्मका महीना-जो आवान महीना कहलाता है। प्रत्येक शमशी ( Solar ) महीनाका पहला दिन, जिसका नाम ओरमन है । बारह बरकतवाले दिन कि जो श्रावण महीनेके अन्तिम छः दिन और भादोंके पहले छः दिन हैं। अल्लाहो अकबर । नकल मुताबिक असलके है। ( इस मुहरके लक्षार हो ज।) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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