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________________ 66 12 परिशिष्ट (घ) परिशिष्ट (घ ) 33 फर्मान नं. ४ का अनुवाद । अबुलमुज़फ्फर सुल्तानशाह सलीम गाजीका दुनियाद्वारा माना हुआ फर्मान । नकल मुताबिक असलके है । बड़े कार्मोसे संबंध रखनेवाली आज्ञा देनेवालों, उनको अमलमें लानेवालों, उनके अहलकारों तथा वर्तमान और भविष्य के मुआमलतदारों....... आदि और मुख्यतया सोरठ सरकारको शाही सम्मान प्राप्त करके तथा आशा रखके मालूम हो कि भानुचंद्र यति और 'खुशफ़हम' का खिताबवाले सिद्धिचंद्र यतिने हमसे प्रार्थना की कि, - जजिआ, कर, गाय, बैल, भैंस और भैंसेकी हिंसा, प्रत्येक महीने के नियत दिनों में हिंसा, मरे हुए लोगोंके मालपर कब्जा करना, लोगोंको कैद करना और सोरठ सरकार शत्रुंजय तीर्थपर लोगों से जो मेहसूल लेती है वह महसूल, इन सारी बार्तोकी आला हज़रत (अकबर बादशाहने ) मनाई और माफ़ी की है ।" इससे हमने भी - हरेक आदमीपर हमारी महरबानी है इससे एक दूसरा महीना - जिसके अन्तर्मे हमारा जन्म हुआ है - और शामिलकर, निम्न लिखित विगत के अनुसार माफी की है - हमारे श्रेष्ठ हुक्म के अनुसार अमल करना । तथा Jain Education International **********E* १ देखो पेज १४७ - १५८ तथा २४०-२४१ २ १५६-१५८. ३ १४०, १४६, १४७, १५२, १६५, १६६. EN ३८७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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