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________________ सम्राट्का शेषजीवन। अकबर एक मुसलमान सम्राट् था तो भी उसकी प्रशंसा केवल हिन्दुमुसलमान ही नहीं बरके युरोपिअन विद्वान लोग भी करते हैं। इस बातका हम कई बार उल्लेख कर चुके हैं। वह प्रशंसापात्र क्यों बना ! इसका मुख्य कारण है उसकी उदार राजनीति । उसने प्रनाका कल्याण सामने रखकर ही राज्यतंत्र चलाया था; इसीलिए आजतक विद्वान उसकी मुक्तकंठसे प्रशंसा करते आरहे हैं। उसमें धर्मान्धता और निरर्थक विरुद्धाचरणकी आदत न थी, इसीलिए कई लेखकोंने तो उसे अन्य सब राजाओंकी अपेक्षा उच्च कक्षामें रक्खा है। भारतवर्षके राजाओंका इतिहास पढ़ो । उससे मालूम होगा कि, प्रायः मुसलमान बादशाहोंने हिन्दुओं, जैनों और बौद्धों पर जुल्म किया है। इसी प्रकार अनेक हिन्दु राजाओं ने भी मुसलमानों या अन्य धर्मवालोंको सतानेमें कोई कसर नहीं रक्खी। मगर अकबर ही ऐसा था कि, जिसने धर्म या जातिका खयाल न करके सभीको समान दृष्टिसे देखा है और सबका एकसा न्याय किया है । इस बातको अबतकके प्रकरण अच्छी तरह प्रमाणित कर चुके हैं। __ ऐसी राज्यनीतिवाले सम्राट्की सभी प्रशंसा करें तो इसमें आश्चर्यकी बात कौनसी है ! इस प्रकारकी राजनीति उसने रक्खी इसका कारण,-वह समझता था कि प्रजाकी भलाइमें ही राजाकी भलाई है । ' अकबरने अपनी इस उदार राज्यपद्धतिका आन्तरिक संगठन ऐसा दृढ किया था कि उसका प्रभाव चिरकालतक रहा था । यदि यह कहें कि, अबतक चला आ रहा है तो भी अनुचित न होगा । इस संबंधमें अनेक लेखकोंने बहुत कुछ लिखा है। मगर उन सबके उद्गार न लिख केवल पिंगल केनेडी (Pringle Kennedy) नामके विद्वान्ने ' अपने ग्रंथ 'द हिस्ट्री ऑव द ग्रेट मोगल्स । 47 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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