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सूरीश्वर और सम्राट्। अलावा इसके अकबर उस समय साधनहीन भी हो गया था। क्योंकि उसकी शासननीति और उसके धर्मका समर्थन करने वाले एक एक करके, सभी परलोकवासी हो गये थे। केवल अबुल्फ़ज़ल और फैज़ी के समान दो तीन व्यक्तियाँ रही थीं। उनके साथ सलीमकी पूर्ण शत्रुता थी। इसलिए उनके द्वारा कोई कार्य नहीं हो सकता था।
इस तरहकी गड़बड़ी मची हुई थी ही, इतनेहीमें अकबरको एक आघात और लगा । जो फैज़ी अकबरका प्यारा था; जिसकी कविताओं पर अकबर फिदा था वही फैजी सख्त बीमार हो गया । अकबरका उस पर इतना प्रेम था कि, वह हकीमअलीको साथ
१ हकीमअली गीलान (ईरान ) का रहनेवाला था। जब वह ईरानसे भारतमें आया था तब बड़ा ही गरीब और साधनहीन था। मगर थोड़े ही दिनोंमें वह अकबरका सन्माननीय मित्र होगया था । वह ई. सन् १५९६ वे में सातसौ सेनाका नायक बनाया गया था । उसको 'जालीनस उज्जमानी' का खिताब भी मिला था । बदाउनीका मत है कि; वह शीराजके निवासी फतह-उल्लाके पाससे वैद्यकशास्त्र सीखा था । वह एक धर्माध शिया था। वह ऐसा खराब वैद्य था कि उसने अनेक रोगियोंको यमधाम पहुँचा दिया था और उसने अपने गुरु फतह-उल्लाको भी इसीतरह मारडाला था ।
कई ऐसा भी कहते हैं कि अकबरने उसकी परीक्षा करनेके लिए कई रोगी मनुष्योंका और पशुओंका पेशाब, शीशियों में भरवाकर, उसे जाँचके लिए दिया था । उसने सबकी बराबर जाँच की थी । ई. सन् १५८० में वह बीजापुरके बादशाह अलीआदिलशाहके पास एलची बनाकर भेजा गया था। वहाँ उसका अच्छा सत्कार हुआ था। वह वहाँसे नज़रें लेकर सम्राटके पास अभी पहुँचा भी नहीं था कि आदिलशाहका अकस्मात् देहान्त होगया।
अकबर जब मृत्युशय्यापर था तब वह इसी की देखरेखमें था । जहाँगीर कहता है कि, अकबरको उसीने मारा था । यह भी कहा जाता है कि, वह बहुत ही दयालु था । गरीबोंकी दवाके लिए वह प्रतिवर्ष छः हजार
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