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________________ सम्राट्का शेषजीवन । भावार्थ-शाश्वतसुख, प्रामाणिक हृदय, अच्छे आचरणकी सलाह, शारीरिक बल, सुसंस्कार, पुत्रप्राप्ति, मित्रोंका पुनः समागम, दीर्घायु, धन-सम्पत्ति और उच्च पदवी आदि अन्यान्य अनेक मुरादें लेकर झुंडके झुंड मनुष्य सम्राट अकबरके पास आते थे। सम्राट श्रेयका जानने वाला था, इसलिए हरएकको वह सन्तोषप्रद उत्तर देता था और उनकी धार्मिक समस्याओंको हल करनेकी योजनाएँ गढता था । ऐसा एक भी दिन नहीं बीतता था जिस दिन लोग अकबरके पाससे मंत्रोच्चारणद्वारा पानीके कटोरे पवित्र करखानेके लिए न आते हों। लोग अकबरकी मानता रखते थे, इस बातके इतिहासोंमें अनेक प्रमाण हैं। . कवि ऋषभदासने 'हीरविजयसूरिरास' में बादशाहके चमस्कारों के अनेक उदाहरण दिये हैं। उनके एक दो प्रमाण पाठकोंके विनोदार्थ यहाँ दिये जाते हैं। एक बार नवरोजके दिनोंमें स्त्रियोंका बाजार भरा । बादशाह * नवरोज-यह पारसियोंके त्योहारोंका दिन है । अकबरने अपने अनेक त्योहारोंके दिनोंके उपरान्त पारसियोंके कुछ त्योहारों को भी अपने त्योहार माने थे । उन्होंमें नवरोजका दिन भी शामिल है । अकबरने पारसियोंके जिन त्योहारोंको अपने त्योहार माने हैं उनके नाम 'आईन-ई-अकबरी' 'अकबरनामा ' ' बदाऊनी ' और ' मीराते अहमदी ' आदि अनेक ग्रंथों में आये हैं । ' अकबरनामे ' के दूसरे भागके अंग्रेजी अनुवादके २४ वें पृष्ठमें और ' आईन-ई-अकवरी' के प्रथम भागके अंग्रेजी अनुवादके पृ. .२७६ में निम्नलिखित दिन गिनाये गये हैं:१ नये बरसका पहला दिन; १ मिहरका १६ वाँ दिन; . १ फरवरदीनका १९ वाँ दिन; . १ आबानका १० वौँ दिन; भारदी बहिश्तका ३ रा दिनः .. १ आजरका ९ वाँ दिन; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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