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Amraana
सूबेदारों पर प्रभाव । सूरिजीका कथन सुननेके बाद आज़मखाँने एक हास्योत्पादक कथा सुनाई । उसने कहा:
"मेरे कहेका आप बुरा न मानें । हिन्दु लोग कभी खुदाको नहीं पा सकते । केवल मुसलमान ही पासकते हैं । देखिए एक वार हिन्दु और मुसलमानोंके आपसमें झगड़ा हुआ । हिन्दु कहने लगे कि, खुदाके पास हम जा सकते हैं और मुगलमान कहने लगे कि हम जा सकते हैं। अन्तमें यह स्थिर हुआ. कि, दोनों एक एक आदमीको खुदाके पास रवाना करें। जिसका आदमी खुदाके पास जाकर आजायगा; समझना कि, वही पक्ष खुदाके पास है । फिर हिन्दुओंमेंसे एक बहुत बड़ा विद्वान् खुदाके पास जानेको तैयार हुआ । अपना शरीर छोड़कर वह खुदाके पास पहुँचने के लिये रवाना हुआ । रस्तेमें उसे एक महान् भयानक और बीहड़ जंगल मिला । उसको पार करके वह आगे नहीं जासका । इस लिए वापिस लौट आया । लोगोंने उसे पूछा कि,-"तुम खुदाके पास हो आये ?" तो उसने उत्तर दिया:-" हाँ, हो आया ।" फिर उससे पूछा गया कि,-"खुदा कैसा है ?” उसने उत्तर दिया:-" बड़ाही सुंदर है।" मगर वह कोई चिहन न बता सका । इससे उसकी झुठाई खुल गई।
"फिर एक मुसलमान अपना शरीर छोड़ कर खुदाके पास चला । रस्तमें उसने अनार, बादाम, किश्मिश, चारोली, पिश्ता, आम आदिके फल देखे; स्वर्णके महल देखे । झरणोंमेंसे अमृतके समान उसने जल पिया। आखिर वह मंजिले मकसूदपर पहुँचा । उसने खुदाको रत्नजडित सिंहासन पर बैठे और उनकी हाजरीमें फरिश्तोंकी फौजको खड़े देखा । खुदाको सलाम करके वह तत्काल ही वापिस लौटा। खुदाके पास जाकर आया है इस बातकी सुबूतके लिए वह एक मिरचीका झूमका बगलमें दबाकर लेता आया। इससे सिद्ध होता हैं
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