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________________ सूरीश्वर और सम्राट् । LAVANAMA प्रत्येक यात्रीसे लिया जाता था, बंद कराया; मृत मनुष्यका धन ग्रहण करनेका और युद्धमें बंदी-कैदी बनानेका निषेध कराया। इनके अलावा पक्षियोंको पिंजरे से छुड़ाना; तालाबमेंसे जीवोंको छुड़ाना; गाय, भैंस, बैल, मैंसे आदिकी हिंसा रोकना आदि अनेक कार्य कराये थे। समय समयपर हिंसाके समय, बादशाहको उपदेश देकर हिंसा रोकी थी। सबसे महत्त्वका जो कार्य बादशाहसे उन्होंने कराया वह समस्त मुगल राज्यमें एक वर्षमें छः महीने और छः दिन तक कोई भी व्यक्ति हिंसा न करे इसका ढेढेरा था। इन दिनोंकी ठीक ठीक गिनती करना कठिन है । कारण, यद्यपि हीरसौभाग्यकाव्य, हीरविजयसूरिरास, धर्मसागरकी पट्टावली, पालीतानेका वि० सं० १६५० का शिलालेख और जगद्गुरुकाव्य आदि जुदे जुदे अनेक जैनग्रंथोंमें अकबरने जीवदया पालनेके जो महीने और दिन नियत किये थे उनका उल्लेख है, तथापि उनमें कई महीने मुसलमानी त्योहारों के होनेसे यह निर्णय होना कठिन है कि- उन महीनोंके कितने कितने दिन गिनने चाहिए अथवा उनमें किन किनका समावेश हो जाता है ? महम्मद अब्दुल्लाहने किया है । इस परवानेसे स्पष्टतया मालूम होता है कि वह हीरविजयसूरिके उपदेशसे दिया गया था । कई लोग कहते हैं कि उपर्युक्त तीर्थ श्वेतांबरोंके नहीं हैं मगर उनका यह कथन मिथ्या है। कारण-प्रथम उपर्युक्त परवाना है; दूसरे परवाना देनेके अमुक समय बाद अकबरने मंत्री कर्मचंद्रको-जो खरतरगच्छीय श्वेताम्बर जैन था; जो अकबरका मंत्री थाउक्त तीर्थ दिये हैं । इसका उल्लेख बादशाहके समकालीन पं० जयसोमने भी अपने बनाये हुए 'कर्मचंद्रचरित्र' नामके ग्रंथमें इस तरह किया है: "नाथेनाथ प्रसन्नेन जैनास्तीस्सिमेऽपि हि । मंत्रिसाद्विहिता नूनं पुंडरीकाचलादयः ॥” ३९६ ॥ अर्थात्-बादशाहने प्रसन्न होकर पुंडरीक (सिद्धाचल ) आदि समस्त जैनतीर्थ मंत्रीको दे दिये । इसी प्रकार - लाभोदयरास' में भी कहा है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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