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सूरीश्वर और सम्राट् । बादशाहके इस कथनने दर्वारियोंके दिलोंपर गहरा प्रभाव डाला । उनके हृदयोंमें सुरिजीके प्रति जो भक्तिभाव थे वे और भी कई गुने ज्यादा बढ़ गये।
. उस समय बीरबल के हृदयमें सूरिजीसे कुछ पूछनेकी अभि. लाषा हुई । इसलिए उसने बादशाहसे आज्ञा माँगी। बादशाहने मंजूरी दी । तब बीरबलने सूरिजीसे पूछना प्रारंभ कियाः
बीरबल:-महाराज ! क्या शंकर सगुण हैं ? सूरिजीः-हाँ, शंकर सगुण हैं। बी०-मैं तो मानता हूँ कि शंकर निर्गुण ही हैं।
सरि०-ऐसा नहीं है । अच्छा, क्या तुम शंकर को ईश्वर मानते हो?
बी०-हाँ। सूरि०-ईश्वर ज्ञानी है या अज्ञानी ? बी०-ईश्वर ज्ञानी है। सूरि०-ज्ञानी अर्थात् ? बी०-ज्ञानवाला। सूरि-ज्ञान गुण है या नहीं ? बी०-महाराज ! ज्ञान तो गुण ही है । सूरि०-ज्ञानको गुण बताते हो ? बी०-~-जी हाँ, ज्ञानको गुण ही मानता हूँ।
सूरि०-यदि तुम ज्ञानको गुण मानते हो तो फिर तुम्हारी ही मान्यतानुसार यह सिद्ध है कि शंकर-ईश्वर सगुण ' है।
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