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सूरीश्वर और सम्राट तया यही नहीं लिख दिया था कि,-हीरविजयसूरिको भेज दो। उसने लिखा था कि, उन्हें हाथी घोड़े, रथ, प्यादे आदि ठाटके साथ और इज्जतके साथ यहाँ भेज दो। ये पत्र बादशाहने दो मेवड़ा
ओंके साथ अहमदाबाद रवाना किये थे । 'हीरसौभाग्यकाव्य ' में इन मेवड़ाओंके नाम, मौंदी और कलाम बताये गये हैं। यहाँ एक दूसरी बात पर प्रकाश डाल देना भी उचित होगा।
___ अकबर सम्राट् था। उसके पास सब तरहकी सामग्रियाँ थीं। हाथी थे, घोड़े थे, ऊँट थे, लक्ष्मीका अभाव नहीं था और आदमियोंकी भी कमी नहीं थी। उस समयमें जितना जल्दी कार्य हो सकता था उतना जल्दी कार्य संपादन करनेकी सब सामग्रियाँ उसके पास मौजूद थीं। इस लिए यदि वह अपना सोचा कार्य कर लेता था तो इसमें कोई विशेषता नहीं है । यद्यपि इतना था तथापि कहना पड़ता है कि, आज एक दरिद्र जितनी शीघ्रतासे कार्य कर सकता है उतनी शीघ्रतासे उस समयका सम्राट अकबर नहीं कर सकता था। अकबरके पास ऐसा कोई वैज्ञानिक साधन नहीं था, जैसा आज एक गरीबको भी सरलतासे प्राप्त हो सकता है। आगरेमें बैठे हुए अकबरको यदि गुजरातमें कोई आवश्यक समाचार भेजना पड़ता था तो कमसे
1 The Mewrāhs. They are natives of Mewāt, and are famous as runners. They bring from great distances with zeal anything that may be required. They are excellent spies, and will perform the most intricate duties. There are likewise one thousand of them, ready to carry out orders. [The Ain-i-Akbari translated by H. Blochmann 11. A.
___Vol. I p. 252.] अर्थात-वे मेवातके रहनेवाले हैं और दौड़नेवाले ( हल्कारों ) के नामसे प्रसिद्ध हैं। जिस चीजकी जरूरत होती है वे बड़े दूरसे, उत्साह के साथ (शीघ्र ही) ले आते हैं। वे उत्तम जासूस हैं। बड़े बडे जटिल कार्य भी वे कर दिया करते हैं। ऐसे एक हजार हैं जो हर समय आशापालनेके लिए तत्पर रहते हैं।
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