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सम्राट् - परिचय |
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समयसे शुरू किया था, जब वह अंध श्रद्धालु मुसलमान जान पड़ता था । बादमें यद्यपि उसके विचारोंमें बहुत कुछ परिवर्तन हो गया था; वह करीब करीब हिन्दुओं के समान ही हो गया था, तथापि उसके लिए कोई निश्चयरूपसे यह नहीं कह सकता था कि, - अकबर अमुक धर्मको माननेवाला है । और तो क्या उसके विचार जानने का भी किसीमें सामर्थ्य नहीं था। इसके लिए ईसाई पादरी बार्टोली (Bartoli) - जो अकबर के समय में मौजूद था - लिखता है :
"He never gave anybody the chance to understand rightly his inmost sentiments, or to know what faith or religion he held by......And in all business, this was the characteristic manner of King Akbar-a man apparently free from mystery or guile, as honest and candid as could be imagined; but in reality, so close and self-contained, with twists of words and deeds so divergent one from the other, and most times so contradictory, that even by much seeking one could not find the clue to his thoughts.*
अर्थात् - वह अपने आन्तरिक विचारोंको जाननेका या वह किस धर्म या किस मत के अनुसार वर्ताव करता है सो समझनेका कभी किसीको भी मौका नहीं देता था। उसके हरेक काममें यह खूबी थी कि, वह बाह्यतः भेद और प्रपंचसे दूर रहता था; और जितनी कल्पना की जा सकती है उतना प्रामाणिक और बेलाग रहता था; मगर वास्तव में था वह बड़ा ही गहरा और स्वतंत्र उसके वचन इस प्रकारके शब्दों में निकलते थे कि, जिनके दो अर्थ हो जाते थे, कई बार तो उसके कार्य
* Akbar The Great Mogul, Page 73.
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